श्रावण का महीना, हिंदू पंचांग के अनुसार साल का पांचवा महीना है। श्रावण का यह महीना इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार जुलाई और अगस्त में आता है। श्रावण का पूरा महीना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर श्रावण का महीना इतना शुभ क्यों माना जाता है? इसके पीछे कई किंवदंतियां है।
एक किंवदंती के अनुसार पवित्र श्रवण मास में ही देवता और दानव मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे। इस समुद्र मंथन में देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन से निकलने वाली हर चीज को आपस में समान रूप से साझा करने के लिए सहमति व्यक्त की थी।
उस दौरान समुद्र मंथन से हलाहल (विष) के साथ कीमती गहने और रत्न निकले। गहने और रत्न देवता और दानव दोनों लेना चाहते थे। लेकिन हलाहल को देख डर गए क्योंकि हलाहल से हर चीज नष्ट हो जाती। इसे देख भगवान शिव बचाव में आए और पूरा हलाहल (विष) पी लिया। परिणामस्वरूप, उनकी गर्दन नीली हो गई और उसी दिन से उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा। हलाहल में इतनी गर्मी थी की भगवान शिव ने अपने सिर पर अर्धचंद्रमा पहना। भगवान इंद्र ने उस पर बारिश की बौछार कर दी। अन्य देवताओ ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए पवित्र गंगा नदी से जल अर्पित करना शुरू किया। इसलिए इस महीने के दौरान भगवान शिव का जल अभिषेक करने से देवता सबसे प्रसन्न होते हैं और सफलता तथा सौभाग्य प्रदान करते हैं। पवित्र गंगा जल भगवान शिव को अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
श्रावण सोमवार व्रत कथा
एक किंवदंती के अनुसार, माता सती ने कई वर्षों के बाद हिमालय राज के घर में माता पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाना चाहती। इसलिए देवी पार्वती ने श्रावण के पूरे महीने तपस्या की और उपवास किया। भगवान शिव ने देवी पार्वती की भक्ति और पूजा से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा पूरी की। इसलिए भगवान शिव को श्रावण का महीना अत्यधिक प्रिय है इसी श्रावण मास में वह देवी पार्वती से मिले।

यही कारण है कि श्रावण के महीने में ज्यादातर लोग सोमवार का उपवास रखते हैं। इस महीने कुमारी (अविवाहित) लड़कियां अच्छे वर के लिए सोमवार का व्रत रखती है और भगवान शिव की पूजा करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, श्रावण के महीने में सोमवार को व्रत रखने के कई लाभ हैं। जो लोग अपने वैवाहिक जीवन में भिन्न प्रकार की समस्याओं और परेशनीयों का सामना कर रहे हैं या जिन लोगों के विवाह में देरी आ रही है, वह लोग सोमवार को व्रत रख सकते है। व्रत के साथ भगवान शिव का रुद्राभिषेक, रुद्राक्ष की माला से जप, शिव चालीसा और मृत्युंजय मंत्र का पाठ कर सकते हैं।
सोमवर व्रत के दौरान आप क्या खा सकते हैं?
आप सोमवार व्रत के दौरान आप दूध, फल, जूस, चाय, कॉफ़ी, बादाम, किशमिश आदि के सेवन कर सकते है और शाम को बिना लहसुन और प्याज के नियमित भोजन कर सकते हैं।
सोमवर व्रत के दौरान क्या नहीं खाना है?
व्रत के दौरान लहसुन, प्याज, अंडे, मांस, शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के दौरान पत्तेदार सब्जियों और बैंगन को भी खाने से बचना चाहिए क्योंकि यह मानसून के दौरान कीड़ों से संक्रमित हो जाते है।
वैज्ञानिक तथ्य के मुताबिक इन महीनो में मानसून आता है और हवा में नमी रहती है। इस नमी वाली हवा में कीटाणु जीवित रहते है और हमारा पाचन भी समान नहीं रहता है। इस कारण यह महीने शरीर को डिटॉक्स करने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए है।
श्रावण मास के दौरान पवित्र वस्तुओं जैसे चंदन, दूध, शहद और पवित्र गंगा जल चढ़ाने और शिवलिंग की नियमित पूजा करने से भगवान शिव बहुत खुश होते है।

रुद्रअभिषेक पूजा और शिव पूजा जैसे विशेष पूजा का आयोजन करने से देवता को बहुत प्रसन्न होते है। महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ और पूजा के आयोजन से व्यक्ति की दीर्घायु भी बढ़ती है।
सावन माह के दौरान रुद्राक्ष पहनने से यह सभी बुराई से बचाता है और पहनने वाले की सभी इच्छायें पूरी होती है।
ऐसा भी कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए सोलह सोमवार का व्रत किया था। श्रावण के इस महीने में शिव भक्त “कांवर” लेकर पैदल यात्रा करते हुए शिव मंदिर जाते हैं। इस कांवर यात्रा में शिव के मंदिर मुख्य रूप से हरिद्वार (उत्तराखण्ड),काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश) और देवघर (झारखंड) जाते हैं।
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