2007 में फोर्ब्स के सबसे अमीर आदमियों की लिस्ट में अनिल अंबानी की कुल संपत्ति 5.5 बिलियन डॉलर थी और मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति $ 7 बिलियन थी। 2017 के फोर्ब्स के अमीर आदमियों की लिस्ट में, अनिल की कुल संपत्ति $ 2.44 बिलियन तक सिकुड़ गई, जबकि मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति $ 47.3 बिलियन हो गई। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि मुकेश अंबानी क्यों अनिल अंबानी से ज्यादा सफल हैं
आज मुकेश अंबानी दुनिया के 500 अमीरों की रैंकिंग बताने वाले इंडेक्स में 18वें से 15वें नंबर पर आ गए हैं। वही इंडेक्स के टॉप-50 में भारत से मुकेश अंबानी के अलावा सिर्फ अजीम प्रेमजी शामिल हैं।
दो भाइयों के भाग्य की कहानी 2002 में शुरू हुई जब उनके पिता धीरूभाई अंबानी की स्ट्रोक से मृत्यु हो गई।
मृत्यु के बाद, दोनों भाई असमंजस में थे क्योंकि कोई स्पष्ट सीमांकन नहीं था कि कौन आधिकारिक तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के व्यवसाय का मालिक होगा। इसके बाद मुकेश अंबानी ने प्रबंध निदेशक की भूमिका निभाई और अनिल अंबानी निदेशक के पद पर आसीन हुए। हालांकि मुकेश और अनिल के बीच का झगड़ा नवंबर 2004 में सार्वजनिक हो गया।

2005 के दौरान कोकिलाबेन, ने उनके दो बेटों के बीच के झगड़े में कदम रखा।
औपचारिक विभाजन 2006 में हुआ। मुकेश को प्रमुख तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल्स का नियंत्रण मिला। अनील को बिजली उत्पादन और वित्तीय सेवाओं जैसे नए व्यवसाय मिले। अनिल ने टेलीकॉम यूनिट को भी संभाला, और आक्रामक रूप से विस्तार किया।
मुकेश अंबानी क्यों अनिल अंबानी से ज्यादा सफल हैं: अनिल और मुकेश अंबानी के बीच विभाजन के बाद
उस समय, वायरलेस यानि टेलीकॉम डिवीजन अनिल को कुछ अधिक आशाजनक अवसर दे रहे थे। भारत के मोबाइल फोन के बाजार का भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा था।
वही 2005 में कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक के रिकॉर्ड मूल्य पर चढ़ गई थीं, जिससे मुकेश अंबानी की चिंता बढ़ गई थी कि रिफाइनर का मार्जिन कम हो सकता है।
दोनों भाइयों के बीच एक गैर-प्रतिस्पर्धा खंड ने मुकेश को टेलीकॉम क्षेत्र से बाहर रखा जब तक कि 2010 में समझौता ख़त्म नहीं हुआ। समझोता ख़त्म होने के बाद मुकेश अंबानी ने तेजी से 4G वायरलेस नेटवर्क बनाने के लिए अगले सात वर्षों में 2.5 ट्रिलियन रुपये से अधिक का निवेश किया।
वही अनिल अम्बानी के रिलायंस के शेयर पिछले एक दशक में एस एंड पी बीएसई सेंसेक्स सूचकांक में औंधे मुँह गिर रहा था क्योंकि निवेशकों ने मुकेश को अपने दूरसंचार नेटवर्क में आने का संकेत देख लिया था।

जब JIO 2016 में आया था, तो जिओ/JIO टेलिकॉम का प्रभाव नाटकीय था। मुकेश के अपस्टार्ट ने बेहद सस्ती कीमतों पर प्लान पेश किया गया था। जो कि 150 रूपये के मासिक योजनाओं की पेशकश करता था। इससे उनके प्रतिद्वंद्वी जैसे की एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशन, एयरसेल, आईडिया और वोडाफ़ोन को काफी नुकसान हुआ। जिओ/ Jio टेलिकॉम ने सेवा शुरू करने के दो साल से भी कम समय में 227 मिलियन उपयोगकर्ताओं को दूसरी टेलिकॉम ऑपरेटर्स से छीन लिया था।
मुकेश अंबानी क्यों अनिल अंबानी से ज्यादा सफल हैं: अनिल अंबानी विभाजन के बाद
अपने भाई की तरह, अनिल ने अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करने के लिए अरबों का निवेश किया। लेकिन छोटे भाई अनिल के पास मुकेश जैसी रिफाइनर नहीं थी, जो की एक तरह से नकदी देने वाली गाय है। इसके बजाय भारत में अन्य व्यवसायों की तरह, उनकी कई कंपनियों के ऋण/क़र्ज़ में वृद्धि हुई।

अनिल ने 2016 में गुजरात स्थित पीपावाव मरीन एंड ऑफशोर (बदला हुआ रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग) में हिस्सेदारी की खरीद के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया। रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग भारतीय नौसेना के लिए युद्धपोतों का निर्माण और मरम्मत करता है। पीपावाव मरीन एंड ऑफशोर पर पहले से ही काफी ऋण में था और इसके ऋण खाते अनियमित और घटिया रहें थे। समस्या तब आई जब पूर्ववर्ती पीपापव शिपयार्ड के पुराने ऋणों को पुनर्प्राप्त करने के लिए, एक लेनदार, IFCI, ने रिलायंस नेवल के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही दायर कर दी।
अनिल एक ऋणी “जहाज निर्माण संगठन- पीपावाव मरीन एंड ऑफशोर” को खरीदने के लिए क्यों आगे बढ़े यह मेरे समझ से बाहर है?
अनिल की एक और रक्षा कंपनी 2016 में फ्रांस और भारत के बीच 8.7 बिलियन डॉलर के फ्रेंच युद्धक विमानों के बीच हुई वार्ता के तहत जांच के दायरे में आ गई।
अनिल की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, जिसने मुंबई की पहली मेट्रो लाइन का निर्माण किया था। अगस्त 2018 में एक बांड भुगतान से चूक गई क्योंकि यह अपनी पॉवर/बिजली ट्रांसमिशन परिसंपत्तियों को गौतम अडानी की इकाई द्वारा खरीदे जाने का इंतजार करती रही।
लेकिन अनिल के साम्राज्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने भाई के व्यवसाय से आई। रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड को जिओ/JIO ने अपने कम कीमतों वाले प्लान से चकनाचूर कर दिया था। अनिल के व्यवसायों में संकटों का विस्तार हो रहा था। 2017 में आरकॉम को लगातार चौथे तिमाही में नुकसान हुआ और डिबेंचर पर ब्याज का भुगतान करने में विफल रहा।
अनिल अंबानी ने महसूस नहीं किया था कि वह अपने हाथ में एक सुनहरा अंडा पकड़े हुए थे। जब दुनिया GSM (जीएसएम) में परिवर्तित हो गई और उस दौर में भी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटे CDMA की ब्रांडिंग कर रहा था।
रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड को को बदतर बनाने के लिए, चाइना डेवलपमेंट बैंक ने दिवालिया न्यायालय में 1.8 बिलियन अमरीकी डालर के अपने विदेशी मुद्रा ऋण की वसूली के लिए एक दिवालिया याचिका दायर की, जिसे उसने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड को दिया था।
अंत में अनिल के रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड ने अपना 178,000 किलोमीटर का फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क 30 अरब रुपये में बेचा और मोबाइल फोन व्यवसाय से बाहर निकल गए। हैरत की बात यह थी की इसका खरीददार मुकेश अंबानी थे।

आजकल एक दर्जन से अधिक लोन देने वाले लोग अनिल का पीछा कर रहे हैं। उनमें से तीन राज्य नियंत्रित चीनी बैंकों का एक समूह है जिसने 2012 में रिलायंस कम्युनिकेशंस को अपने नए नेटवर्क का निर्माण करने हेतु 925 मिलियन डॉलर उधार दिए थे।
मुकेश अंबानी क्यों अनिल अंबानी से ज्यादा सफल हैं: मुकेश अंबानी की सफलता के पीछे कारण
जैसा कि कहा जाता है “भाग्य बहादुर का पक्षधर है”। यह मुकेश पर लागू होता है। मुकेश ने अपने समय, धन और ऊर्जा को बड़े पैमाने पर जटिल परियोजनाओं जैसे जामनगर रिफाइनरी, केजीबी (कावेरी गैस बेसिन) रिलायंस JIO 4G परियोजना में निवेश किया है। RJIO ने कमाई शुरू करने से पहले लगभग 30 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश किया था।
वह बहुत प्रतिबद्ध और वफादार टीम के साथ है। उनकी टीम के सदस्यों में परिवार के सदस्य (निखिल और हेतल मेसवानी) और स्कूल/कॉलेज के दोस्त (आनंद जैन और मनोज मोदी) शामिल हैं।
अनिल अंबानी को एक ही समय में बहुत सी चीजों के साथ खेलना पसंद था। मुकेश अंबानी को पूर्णता के साथ एक काम करना पसंद था। मुकेश हमेशा बड़े पैमाने पर कारोबार करना पसंद है और वह कैश ओवरफ्लो के लिए सालों इंतजार कर सकते हैं।
मुकेश अंबानी आधुनिक भारतीय व्यवसाय का चेहरा हैं जो भारतीय व्यापार क्षेत्र की एक बोल्ड छवि का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है। इन्ही कुछ कारणों की वजह से मुकेश अंबानी क्यों अनिल अंबानी से ज्यादा सफल हैं ।
हमें आशा है कि आपको “मुकेश अंबानी क्यों अनिल अंबानी से ज्यादा सफल हैं“ पर हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं ताकि हम तिकड़म पर और भी रोचक तथ्य भविष्य में ला सकें। तिकड़म की ओर से हमारी हमेशा यही कोशिश है कि हम लोगों तक दुनिया के दिलचस्प तथ्यों से अवगत करा सकें। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप हमारें YouTube चैनल को अपने मित्रों के साथ शेयर करें। आप यहाँ टेक्नोलॉजी, सिनेमा और स्वास्थ सम्बंधित आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।