S-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम जो कि अब बहुत ही जल्द भारतीय सेना के पास होगी। S-400 ट्रायम्फ यह एक रुसी मिसाइल सिस्टम या एक विमानभेदी हथियार है जिसे पहले S-300PMU-3 के नाम से भी जाना जाता था। यह 2007 से ही रूसी सेना के पास है। क्या है यह S-400 मिसाइल सिस्टम और यह अपने पहले के संस्करण से कैसे बेहतर है और इसकी किस क्षमता के कारण भारतीय सेना इसे जल्द से जल्द लेना कहती है।

सबसे पहले इसके फीचर के बारे में बात करते है तो इसमें एक मल्टी कण्ट्रोल राडार सिस्टम आता है एक कण्ट्रोल सेंटर इसके साथ साथ आता है। ऑटॉनमस डिटेक्शन और टार्गेटिंग सिस्टम आता है और इसके साथ सबसे जरूरी एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम आता है। ऐसा कहा जाता है कि हवा में आते हुए 400 कि.मी. तक के रेंज में किसी भी आक्रमण( फाइटर एयरक्राफ्ट, मिसाइल) को यह भेद सकता है। चाहें दुश्मन का कोई फाइटर जेट हो, कोई बल्लेस्टिक मिसाइल हो, कोई क्रूज मिसाइल हो, कोई ड्रोन हो हर किस्म के आक्रमण जो हवा से आ रहा हो उसे हवा में ही ध्वस्त कर सकता है।
इस मिसाइल सिस्टम की जो सबसे ख़ास बात है वह है इसका रेंज यह मिसाइल सिस्टम 400 किलोमीटर की दूरी पर हवा में आते हुए किसी भी आक्रमण को हवा में ही भेद सकता है। इसका सीधा सीधा मतलब यह है कि अगर एक मिसाइल सिस्टम चचंडीगढ़ में लगा हो और एक मिसाइल सिस्टम जैसलमेर में लगा हो तो यह पाकिस्तान से आने भी किसी भी हवाई आक्रमण को भारत की ज़मीन में पहुचने से पहले ही हवा में ध्वस्त कर देगा। दूसरी ख़ास बात इसकी ऊचाई में पकड़ है यह जमीन से 30 किलोमीट ऊपर उड़ने वाले किसी भी फाइटर जेट या मिसाइल को भेद सकता है।
वही इस मिसाइल सिस्टम की गति भी गज़ब की है जो कि 17,000 किमी/घंटा है।
यह तो कुछ भी नहीं है अगर मान लिया जाए की दुश्मन के 36 फाइटर जेट एक साथ हमला कर से तो क्या करेंगे? तो इसमें भी घबराने कि बात नहीं है क्यूंकि यह मिसाइल सिस्टम एक बार में 36 टारगेट को एक साथ निशाना बना सकती है। इसकी इसी ख़ूबी कि वजह से भारत इसे जल्द से जल्द हासिल करना चाहता है।
S-400 से पहले S-300 था लेकिन कहा यह जा रहा है कि S-400 अपने पुराने संस्करण S-300 से दोगुना इफेक्टिव है। S-400 पुराने S-300 के मुकाबले 4 और नई किस्म के मिसाइल फायर कर सकता है जो कि अलग अलग दूरी और ऊचाई पर जाकर दुश्मन को भेद सकता है।
द इकोनॉमिस्ट ने 2017 में, S-400 को “वर्तमान में सबसे अच्छे वायु-रक्षा प्रणालियों में से एक” के रूप में बताया था। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के सीमन वेज़मैन के मुताबिक “S-400 अबतक के सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक” है।
S-400 की अपनी उन्नत क्षमताओं के कारण कई देशों ने जैसे कि चीन, सऊदी अरब, तुर्की और कतर ने रूस से मांग की है। लेकिन इस सब देशों में चीन इस S-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम का पहला खरीदार है। तो वही भारत ने 15 अक्टूबर 2016 को, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत और रूस ने पांच S-400 मिसाइलों की आपूर्ति के लिए एक अंतर-सरकारी समझौते (IGA) पर हस्ताक्षर किया था। जिसकी पूर्ति दिसम्बर 2020 तक होने कि उम्मीद है।
मुझे आशा है कि आपको “भारत को क्यों S-400 मिसाइल सिस्टम की जरूरत है?” के कुछ रोचक तथ्य पर हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं ताकि हम तिकड़म पर और भी रोचक तथ्य भविष्य में ला सकें। तिकड़म की ओर से हमारी हमेशा यही कोशिश है कि हम लोगों तक दुनिया के दिलचस्प तथ्यों से अवगत करा सकें। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप हमारें YouTube चैनल को अपने मित्रों के साथ शेयर करें। आप यहाँ टेक्नोलॉजी, सिनेमा और स्वास्थ सम्बंधित आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।