चंद्रमा पर शौच करने वाला दुनिया का पहला आदमी

शुरुआती मानव अंतरीक्ष अभियान से ही शौच और पेशाब की समस्या एस्ट्रोनॉट्स और नासा के वैज्ञानिको के लिए चिंता का विषय रहा था।

यह आर्टिकल पढ़ने में भले ही अजीब लग रहा हो लेकिन यह सच है। अब जाहिर सी बात है कि अगर कोई चाँद पर जाए या मंगल पर लेकिन शौच तो आना ही है और कहते हैं ना “शौच कही भी और कभी भी आ सकती है।“ जब शौच लगती है तब फिर कोई यह नहीं देखता की वह धरती पर है या अंतरीक्ष में।

यह तो हम सभी जानते हैं की चाँद पर सबसे पहले कदम रखने वाले आदमी नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन थे। यह दोनों आज से 51 साल पहले यानी कि 20 जुलाई 1969 में चाँद पर जाने वाले पहले आदमी थे। यह दोनों अपोलो 11 मिशन का हिस्सा थे।

1960 से 1970 के बीच नासा के वैज्ञानिको ने जी जान लगाकर चंद्रमा पर जाने के लिए अंतरीक्षयान का निर्माण किया। इस अंतरीक्षयान में एस्ट्रोनॉट्स के सुरक्षा से सम्बंधित सभी चीजो का ध्यान रखा गया। लेकिन अंतरीक्षयान, अपोलो 11 में शौचालय की सुविधा देना भूल गए। सिर्फ अपोलो 11 में ही नहीं बल्कि 1980 से पहले किसी भी स्पेसशटल में शौचालय की व्यवस्था नहीं थी।

शुरुआती मानव अंतरीक्ष अभियान से ही शौच और पेशाब की समस्या एस्ट्रोनॉट्स और नासा के वैज्ञानिको के लिए चिंता का विषय रहा था।

शुरुआती दौर में अंतरीक्ष में शौच कैसे करते थे?

शुरूआती दौर में स्पेसशटल में शौच करना काफी बदबूदार प्रक्रिया थी। पेशाब करने के लिए एक बड़े कंडोम जैसे थैले का प्रयोग करते थे जिसमे एक नली लगी होती थी। कई बार पेशाब करने की प्रकिया में पेशाब बिखर जाया करता था। शुरुआत में महिलाओ के लिए इस तरह की कोई सुविधा नहीं थी। शायद यही कारण रहा होगा की शुरुआती अंतरीक्ष अभियान में कोई महिला एस्ट्रोनॉट नहीं थी।

वही शौच करने के लिए प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल करना पड़ता था। आप सोच सकते हैं की स्पेस सूट के पीछे छोटे से फ्लैप में शौच करना कितना कठिन रहा होगा। कहा जाता है की इस पूरी प्रक्रिया में 45 मिनट का समय लगता था।   

अपोलो 11 के अभियान पर जाने से पहले नासा ने सभी एस्ट्रोनॉट्स को अपने मल को धरती पर वापस लाने को कहा था। जिससे वैज्ञानिक उसकी जांच कर सके। इसके लिए एस्ट्रोनॉट्स को मल के थैले को सील कर के उसे जीवाणुनाशक डब्बे में डालना पड़ता था।

चन्द्रमा पर शौच

चंद्रमा की सतह पर प्लास्टिक के थैले इस्तेमाल नहीं करते थे। वहां उन्हें डायपर पहनना पड़ता था। क्योंकि चंद्रमा की सतह पर स्पेस सूट पहनकर प्लास्टिक के थैले का प्रयोग करना कठिन था। एस्ट्रोनॉट्स बज़ एल्ड्रिन ने खुद स्वीकार किया की जब वह चंदमा पर घूम रहे थे तब उन्होंने अपने स्पेस सूट में पेशाब किया था। हालांकि यह नहीं पता की जब वह पेशाब कर रहे थे तब उन्होंने डायपर पहना था या नहीं। इस कारण चंद्रमा पर पेशाब करने वाला पहला आदमी बज़ एल्ड्रिन थे। चंद्रमा की सतह पर पहुचने के कुछ ही समय बाद बज़ एल्ड्रिन ने पेशाब किया था।

अपोलो 11 मिशन – प्रमुख तथ्य

अपोलो मिशन के दौरान स्पेस शटल में कोई बाथरूम नहीं था।

अपोलो 11 के मिशन में चंद्रमा पर दो लोगों को उतारा था नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन

20 जुलाई, 1969 और 8.17pm UTC समय में अपोलो लूनर मॉड्यूल, ईगल चंद्रमा पर उतरा था।

नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा यान उतरने के छह घंटे बाद चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले पहले व्यक्ति बने।

नील आर्मस्ट्रांग के उतरने के 19 मिनट बाद बज़ एल्ड्रिन चंद्रमा की सतह पर उतरे।

नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन ने अंतरिक्ष यान के बाहर लगभग 2 घंटे और 15 मिनट एक साथ बिताए। इसके बाद चंद्रमा से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए नमूने एकत्रित किए।

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