भारत एक धार्मिक आस्था का देश है। हमारा देश भारत अपनी संस्कृति के साथ ऐसी कई रहस्यमयी जगहों के लिए जानी जाती है जो अपने आप में अनोखी है। भारत में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अनोखे रहस्य और चमत्कारो के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत के इन मंदिरों की अलग-अलग कहानियां हैं।
हम ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताएंगे जो दिन में दो बार गायब हो जाती है। इस मंदिर का नाम स्तंभेश्वर महादेव मंदिर(Stambheshwar Mahadev) है।
स्तंभेश्वर महादेव (Stambheshwar Mahadev) मंदिर गुजरात के वडोदरा से 60 किलोमीटर दूर कावी-कम्बोई नाम के एक छोटे से कस्बे में स्थित है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर (Stambheshwar Mahadev) का उल्लेख अठारह हिंदू पुराणों में से एक शिवपुराण में रुद्र संहिता के ग्यारहवें अध्याय में मिलता है। जो इस शिवधाम के प्राचीन अस्तित्व को प्रमाणित करता है। वही स्कंद पुराण में इस मंदिर के निर्माण का विस्तार से वर्णन किया गया है।
अरब सागर के तट पर होने के कारण यह मंदिर दिन में दो बार, सुबह और शाम समुन्द्र में डूब जाता है। सुबह और शाम समुद्र में जब भी ज्वार चढ़ता है, शिवलिंग सहित पूरा मंदिर समुद्र में समा जाता है. जब ज्वार धीरे धीरे उतरता है तो यह मंदिर फिर से दिखाई देता है। इस मंदिर के दर्शन और अरब सागर की अद्भुत दृश्य को देखने के लिए यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालु इस घटना को समुद्र द्वारा शिव का अभिषेक के तोर पर मानते है।
किस भगवन ने बनाया स्तंभेश्वर महादेव मंदिर (Stambheshwar Mahadev)?
भारत धार्मिक आस्था का देश है। यहां अलग-अलग समुदाय हैं और उनकी अलग-अलग मान्यताएं हैं।
किंवदंती के अनुसार एक बार राक्षस तारकासुर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कि। भगवान शिव ने तारकासुर कि तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने को कहा। बदले में राक्षस तारकासुर ने अमरता का वरदान मांगा और कहा मेरी मृत्यु आपके (भगवान शिव) पुत्र के हाथों ही हो और वह भी आयु में 6 साल का हो। भगवान शिव ने उन्हें यह वरदान दे दिया।
भगवान शिव के हाथो वरदान पते ही राक्षस तारकासुर ने पूरी पृथ्वी पे अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया। जीव-जंतु , पशु-पक्षी त्राहि त्राहि करने लगे। देवता और ऋषियों पर अत्याचार होने लगा। राक्षस तारकासुर के आतंक और बढ़ते पाप की कारण सभी देवता भगवान ब्रह्मा के शरण में गए। भगवान ब्रह्मा ने कहा राक्षस तारकासुर का अंत भगवन शिव का पुत्र ही कर सकेगा। यह बात सुन देवतागन काफी चिंतित हुए क्योंकि देवताओ के लिए समस्या यह थी कि भगवन शिव का ना तो विवाह हुआ था और ना ही कोई पुत्र था।
देवताओं ने कामदेव और रति का सहारा लेते हुए भगवान शिव को पार्वती के प्रति सम्मोहित करने का प्रयत्न किया। लेकिन देवताओ का यह प्रयत्न विफल हो गया और भगवान शिव ने क्रोध में आकर कामदेव को जला डाला। लेकिन पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए तपस्या करना आरम्भ कर दिया। पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने पार्वती कि स्वीकार किया।
पार्वती से भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की उत्पत्ति हुई। 6 वर्ष की आयु में कार्तिकेय (स्कंद) ने ताड़कासुर का वध कर देवताओं और ऋषिमुनियों को उसके आतंक से मुक्त किया।
जब भगवान कार्तिकेय को पता चला कि तारकासुर के उनके पिता भगवन शिव के भक्त थे, तो यह जान उन्हें आत्मग्लानि हुई। इसपर भगवान विष्णु ने उन्हें सांत्वना दी और समझाया।
भगवान विष्णु ने कार्तिकेय (स्कंद) सांत्वना दी और कहा– “एक दुष्ट व्यक्ति को मारना, जो निर्दोष लोगों के खून से अपना पोषण करता है, पापपूर्ण कार्य नहीं है। लेकिन, फिर भी, यदि आप दोषी महसूस करते हैं तो भगवान शिव की पूजा करे इससे आपके पाप का प्रायश्चित हो जाएगा। इसके लिए आप शिवलिंग स्थापित करें और गहरी भक्ति के साथ उनकी पूजा करें।“
इसके बाद भगवन कार्तिकेय (स्कंद) ने विश्वकर्मा जी से तीन शिवलिंग बनाने को कहा। शिवलिंग बनाने के बाद कार्तिकेय ने इन शिवलिंगों को तीन अलग-अलग स्थानों पर स्थापित किया और उनकी पूजा की।
इस तरह यहां इस शिवलिंग की स्थापना की गई और स्तंभेश्वर महादेव (Stambheshwar Mahadev) मंदिर का निर्माण हुआ।
अगर आप दिन में दो बार धटित होने वाले प्रकृति के इस चमत्कार को देखना चाहते हैं, तो आपको इस मंदिर मे पूरा दिन देना होगा। इससे आप मंदिर को समुद्र में डूबते हुए और वापस उसी अवस्था में आते हुए देख सकते हैं।
एक बार जब आप स्तंभेश्वर महादेव (Stambheshwar Mahadev) मंदिर पहुच जाते हैं, तो आपको जीवन का पूरा अर्थ महसूस होगा। यहां आपको जो राहत, संतोष और सुख महसूस होता है, वह अपने आप में पर्याप्त होगा।
स्तंभेश्वर महादेव (Stambheshwar Mahadev) मंदिर कैसे जाए?
सड़क मार्ग द्वारा – अगर आपके पास अपनी गाड़ी है तो आप आसानी से यहां आ सकते हैं। कावी-कम्बोई क़स्बा बड़ोदरा, भरूच और भावनगर से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। अगर आपके पास अपनी गाड़ी नहीं है तो आप बड़ोदरा या भरूच से स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर के लि कैब के सकते हैं।
ट्रेन से – स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर पहुचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन, बड़ोदरा है। बड़ोदरा रेलवे स्टेशन उतरने के बाद आप कैब से यहां आ सकते हैं। रेलवे स्टेशन से स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर कि दूरी लगभग 75 किलोमीटर है।
हवाई जहाज से – स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर पहुचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा, बड़ोदरा अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे से स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर कि दूरी लगभग 80 किलोमीटर है।
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