सोनी लिव पर रॉकेट बॉयस देखने के बाद अब आर० माधवन की रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट सिनेमाघरों में पहुंच चुकी है। यह फिल्म भारत के मशहूर रॉकेट इंजन वैज्ञानिक नंबी नारायण के जीवन पर आधारित है। इसलिए यह फिल्म आपको इतिहास के कुछ अनकहे पन्नों तक ले जाएगी जो अभी तक अनसुलझे हैं। इस फिल्म का डायरेक्शन, प्रोडक्शन, लेखन आर० माधवन ने किया है। इस फिल्म में वह नंबी नारायण की भूमिका भी निभा रही हैं। इस फिल्म की सबसे खास बात यह है कि यह फिल्म 3 भाषाओं में बनी है और इन तीन भाषाओं में इस फिल्म की डबिंग नहीं कि गई है बल्कि एक ही सीन को तीन अलग-अलग भाषाओं में शूट किया गया है। इस फिल्म में शाहरुख खान ने बतौर एंकर हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओ में काम किया है। वही एंकर का किरदार तमिल भाषा में सूर्या निभा रहे हैं।

रॉकेट्री-द नंबी इफेक्ट
रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट प्रारंभ में आपको खूबसूरत और आधुनिक स्पेस सेंटर की तरफ ले जाती है और फिर नंबी नारायण के घर की ओर ले जाती है। जहां वैज्ञानिक नंबी नारायण अर्थात आर० माधवन अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। पर जैसे ही वह मंदिर जाने के लिए घर से बाहर निकलते हैं। अचानक उनके परिवार पर आफत ही आ जाती है और नंबी नारायण को पुलिस मंदिर से उठाकर थाने ले जाती है। इस समय उनके परिवार को लोगों की आलोचना अलग-अलग तरीके से झेलनी पड़ती है। अभी तक आपको इस फिल्म में एहसास ही नहीं होगा कि नंबी नारायण अपने जीवन में क्या योगदान दिया था? फिर अचानक से आपको यह फिल्म 19 साल बाद ले जाती है। जहां नंबी नारायण एक स्टूडियो में शाहरुख खान के साथ अपने इंटरव्यू की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
नंबी नारायण शाहरुख खान को अपने जीवन काल की कहानी सुनाते हैं और इसी के साथ यह फिल्म उनके जीवन में पीछे यानि फ़्लैश बैक में ले जाती है। जहां पर नम्बी नारायण और हमारे पूर्व राष्ट्रपति कलाम का किरदार निभाने वाले कलाकार के साथ एक कमरे में के जाती है। शुरू के एक घंटे की फिल्म आपको नंबी नारायण की काबिलियत, उनका साइंस के प्रति पागलपन और विक्रम साराभाई के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों को दर्शाती है। जहां से वह 100% स्कॉलरशिप प्राप्त कर प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में सॉलिड फ्यूल इंजन पर थीसिस करने के लिए जाते हैं।

स्कॉलरशिप के बाद उन्होंने भारत के लिए विदेशों में बहुत बड़े-बड़े डील्स करें। जहां वह विदेश से 400 मिलियन डॉलर का इंजन का सामान भारत को मुफ्त में दिलवाया। वह Rolls-Royce (रोल्स-रॉयस) के सीईओ से मिलते हैं। बड़े-बड़े इंजनों पर बात करते हैं। फ्रांस देश से एक तकनीक हासिल करने के लिए वह भारत से 52 वैज्ञानिकों को फ्रांस लेकर जाते हैं। ताकि भारतीय साइंटिस्ट फ्रांस की तकनीक को बारीकी से समझ पाए और भारत में उस टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करा पाए। कुल मिलाकर नंबी नारायण इसरो के लिए एक कोहिनूर है। जो नासा के लाखों रुपए की नौकरी ठुकरा कर एक देशभक्त की तरह भारत का नाम स्पेस पावर में रोशन करना चाहते हैं।
इंटरवल के बाद आप देखेंगे नंबी नारायण जिसने रुपए पैसे, आराम सब कुछ छोड़ कर के अपना पूरा जीवन इसरो को भारतीय स्पेस साइंस को दिया। उन्हें उसके बदले में भारत में ही देशद्रोही करार करके बिना सोचे समझे पुलिस द्वारा शोषण किया गया। पुलिस उन्हें थर्ड डिग्री देती हैं। बुरी तरह टॉर्चर करती है। जिसका खामियाजा न सिर्फ नंबी नारायण को बल्कि उनके पूरे परिवार को चुकाना पड़ता है। समाज में, रिश्तेदारों में और संबंधियों में सब जगह से उन्हें नकार दिया जाता है।
इस फिल्म की खास बात यह है कि इस फिल्म में किसी भी किरदार पर नकली दाढ़ी मूछ, यदि अंग्रेजी में कहें तो प्रोस्थेटिक्स का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया है। तो यदि आप आर० माधवन को इस फिल्म में देखेंगे भी तो उनकी जो सफेद दाढ़ी है वह बिलकुल असली है।
पुरानी ज्यादातर फिल्मों में जहां स्पेस साइंस और रॉकेट के बारे में या सेटेलाइट के बारे में दिखाया गया है। यह शायद पहली ऐसी फिल्म है जहां पर रॉकेट के इंजन को, उसकी आवाज को, उसके डिजाइन को, उसके बनने में की गई टेस्टिंग को बहुत ही बारीकी से दिखाया गया है।
यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसको साइंस या टेक्नोलॉजी में कोई खास रुचि नहीं रखता है। आप उसके बारे में पढ़ते नहीं हैं। या आपका आपकी दिलचस्पी उन विषयों में नहीं है। तो हो सकता है कि इस फिल्म का फर्स्ट हाफ यानी इंटरवल से पहले के समय बहुत सारी तकनिकी बातें आपके सर के ऊपर से निकल जाए। मगर फिर भी आर० माधवन के निर्देशन में बनी रॉकेट्री: द नंबी अफेक्ट में माधवन ने मुश्किल चीजों को आसान भाषा में लोगों तक पहुंचाने की जो जिम्मेदारी ली है उसे काफी हद तक सही तरह निभाया है।

नंबी नारायण पर आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने रॉकेट के सीक्रेट पाकिस्तानी एजेंसियों को बेच दिए हैं। ऐसे में नंबी नारायण का कहना यह था कि जिस टेक्नोलॉजी को बेचने का आरोप मुझ पर लगाया गया है। ऐसी टेक्नोलॉजी अभी तक पूरी तरह से भारत में विकसित ही नहीं हुई। तो यह एक बहुत बड़ा सवाल है कि यदि नबी नारायण ने पाकिस्तान को सीक्रेट्स नहीं बेचे और वह बेकसूर थे या फिर विश्व स्तर पर अपने देश में नम्बी नारायण क्रायोजेनिक इंजन की टेक्नोलॉजी को विकसित ना कर पाए से संबंधित उनके खिलाफ एक षड्यंत्र रचा गया। पर यह फिल्म आपको यह नहीं बताती है कि वह षड्यंत्र किसने रचा?
रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट1 साइंस बायोपिक है तो आपको इस फिल्म में आपको ज्यादा रोमांटिक मसाला देखने को नहीं मिलेगा पर इस फिल्म में ड्रामा जो है उसमें कलाकारों की अदाकारी और आर० माधवन का नंबी नारायण का किरदार आपको फिल्म से अपना इंटरेस्ट खोने नहीं देता है। जैसे कि एक साइंटिस्ट ने देश के लिए इतना कुछ किया उसके एवज में देश ने उसको देशद्रोही करार दिया। जिसकी वजह से उसके परिवार का सामाजिक संतुलन और बीवी का मानसिक संतुलन पूरी तरीके से खो जाता है। और लोग उसके परिवार वालों पर पत्थर फेंकते हैं। लात मारते हैं। गालियां देते हैं। अजीब तरीके की बातें करते हैं। यह फिल्म का बहुत ही भावुक कर देने वाला हिस्सा है।

साइंस फिक्शन फिल्मों की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हर फिल्म के मुख्य किरदार को हरफनमौला दिखाना चाहती है। आप कोई भी फिल्म देखें चाहे अक्षय कुमार की मिशन मंगल या फिर रॉकेट बॉयज। सभी फिल्मों में अधिकतर यह दिखाया जाता है एक या दो किरदारों की वजह से पूरा साइंस प्रोजेक्ट संभव हो पाया। यही चीज आपको रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट में भी देखने को मिलेगी जहां एपीजे अब्दुल कलाम, विक्रम साराभाई जैसे लोगों को अलग रखकर नंबी नारायण को मुख्य हीरो बनाया गया है।

यदि एक्टिंग की बात करें तो आर० माधवन ने रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट में जो नंबी नारायण का किरदार निभाया है। जीवन के हर पड़ाव पर अलग-अलग समय में जैसे कि जवानी में हैंडसम और बुढ़ापे में अनुभवी बनने का काम बखूबी किया है। फिल्म के अंत में शाहरुख खान के इंटरव्यू के दौरान जब इमोशनल ड्रामा खत्म होता है तब आर० माधवन की जगह नंबी नारायण जी खुद सीन में दिखाई देते हैं। जबरदस्त बात यह है कि आपको पता ही नहीं चलेगा कि कब आर० माधवन की जगह नंबी नारायण सीन में आ गए।
फिल्म के अंत में शाहरुख खान की परफॉर्मेंस नंबी नारायण के लिए एक एंकर के रूप में काफी सपोर्रटिव है। उनका किरदार एक एंकर का है जिन्होंने नवी नारायण को इंटरव्यू के लिए बुलाया है। इसलिए इस फिल्म में उनका और नबी नारायण अर्थात आर० माधवन की बातचीत फिल्म के लिए एक सपोर्टेड नरेशन का काम करती है। शाहरुख खान इस फिल्म में काफी लंबे समय के बाद आपको स्क्रीन पर दिखेंगे। इस फिल्म में नंबी नारायण की पत्नी मीना का किरदार सिमरन ने निभाया है। उनका रोल तो इंपॉर्टेंट है पर वह फिल्म में ज्यादा देर तक नजर नहीं आई है। लेकिन हर बार वह अपने किरदार से फिल्म में एक अद्भुत ड्रामा क्रिएट कर दी हैं। उनकी परफॉर्मेंस लाजवाब है।
समीक्षा के उपसंघार में मैं यह कहूंगा कि अगर आप एक औसत से ऊपर ज्ञानवर्धक, इमोशनल और जीवन के उतार चड़ाव से भरपूर रियल लाइफ पर निर्भर एक फिल्म देखना चाहते हैं तो आपको इस फिल्म में बढ़िया एंटरटेनमेंट मिलेगा। यह पर आपको कहीं पर भी बोरियत महसूस नहीं होने देगी। मैं यह कहूंगा यह फिल्म इतिहास के उन अनकहे पन्नों को आपके समक्ष खोल देगी। जिनका जिक्र इतिहास में नहीं कहा गया और नंबी नारायण की एक जासूस या देशद्रोही वाली शख्सियत को धूमिल करके उन्हें एक महान साइंटिस्ट और देशभक्त साबित करगी।
मुझे आशा है कि आपको “रॉकेट्री-द नंबी इफेक्ट : फिल्म रिव्यू” पर हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं ताकि हम तिकड़म पर और भी रोचक तथ्य भविष्य में ला सकें। तिकड़म की ओर से हमारी हमेशा यही कोशिश है कि हम लोगों तक दुनिया के दिलचस्प तथ्यों से अवगत करा सकें। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप हमारें YouTube चैनल को अपने मित्रों के साथ शेयर करें। आप यहाँ टेक्नोलॉजी, सिनेमा और स्वास्थ सम्बंधित आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।
रिव्यू/समीक्षा
रॉकेट्री-द नंबी इफेक्ट
यह फिल्म भारत के मशहूर रॉकेट इंजन वैज्ञानिक नंबी नारायण के जीवन पर आधारित है। इसलिए यह फिल्म आपको इतिहास के कुछ अनकहे पन्नों तक ले जाएगी जो अभी तक अनसुलझे हैं। इस फिल्म का डायरेक्शन, प्रोडक्शन, लेखन आर० माधवन ने किया है।
रिव्यू/समीक्षा विश्लेषण
-
कहानी
-
निर्देशन
-
एक्टिंग
-
एडिटिंग
-
सिनेमेटोग्राफी
-
विसुअल इफेक्ट्स