जैवलिन थ्रो के रोचक तथ्य
एक ही साल में कॉमन वेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद आज नीरज चोपड़ा को देश में कौन नहीं जानता। वह भारत के दूसरे ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने कॉमन वेल्थ और एशियन गेम्स में मिल्खा सिंह के बाद 2 गोल्ड मेडल जीतकर यह मुकाम हासिल किया है।
यदि आप आज के समय में नीरज चोपड़ा को एक बेहतरीन एथलेटिक खिलाडी के रूप में देख रहे हैं तो आपको यह बात जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि 11 साल की उम्र में उनके शरीर का वजन तकरीबन 80 किलो था। उस समय उन्होंने अपनी जैवलिन की ट्रेनिंग भी शुरू करी थी। कुछ समय में ही उन्हें जैवलिन थ्रो का खेल इतना पसंद आया कि उन्होंने जैवलिन में अपना करियर बनाने का संकल्प लिया। इस लेख में हम आज जैवलिन थ्रो के रोचक तथ्य व नियमों को आपके साथ साझा करेंगे जो बेहद दिलचस्प और रोचक हैं।

जैवलिन का मतलब होता है, भाला फेंकना। यह खेल प्राचीन समय से भारत में खेला जा रहा है। यदि आपको इतिहास से याद हो जब राजा – महाराजा अपने राज्य में भाला फेंकने की प्रतियोगिता कराया करते थे। प्राचीन काल में युद्ध में भी भाला फेंकने का इस्तेमाल किया जाता था। अतः यह खेल भारत में अनेक वर्षों से खेला जा रहा है।
जैवलिन या भाला फेंक के नियम
- जैवलिन थ्रो में खिलाड़ी को 8 मीटर के अर्ध व्यास (रेडियस) के क्षेत्र में जैवलिन फेंकने दिया जाता है। इस खेल में पूरे रनवे की लंबाई कम से कम 30 मीटर से अधिकतम 36.5 मीटर तक होती है।
- इस खेल को सही तरीके से खेलने के लिए खिलाड़ी को जैवलिन को ग्रिप वाले स्थान से पकड़कर कंधों के ऊपर से फेकते हैं और जब तक की उनका थ्रो यानि फेकने का काम पूरा ना हो जाए। तब तक कोई भी खिलाड़ी अपनी पीठ को चाप की ओर नहीं मोड़ सकता हैं।
- किसी भी खिलाड़ी द्वारा किए गए थ्रो को उसी स्थिति में सही माना जाता है जब मेटल यानी धातु वाला सिरा पहले जमीन को स्पर्श करें।
- सभी खिलाड़ियों को थ्रो को इस प्रकार करना चाहिए कि जैवलिन यानि भाला दर्शाए हुए क्षेत्र के अंदर ही गिरे।
- इस खेल में लड़कियों के लिए जैवलिन की लंबाई 7 फुट 2.5 इंच और वजन 5.5 ओंस होता है जबकि लड़कों के लिए जैवलिन की लंबाई 7 फुट 6.5 इंच तथा वजन 6 किलोग्राम होता है।
- नियम अनुसार जैवलिन थ्रो के दौरान यदि खिलाड़ी के थ्रो करने के बाद और जमीन पर गिरने से पहले ही जैवलिन टूट जाए तो खिलाड़ी को एक और बारी दी जाती है। नियमों के अनुसार किए गए थ्रो को ट्रायल में सम्मिलित नहीं किया जाता है।
- जैवलीन थ्रो करने के समय यदि खिलाड़ी जब जमीन के जैवलीन को छूने से पहले भाले को देखी गई दिशा में मुंह करता है तो उसे फाउल माना जाता है।
- यदि खिलाड़ी जैवलीन फेंकने से पहले उसके शरीर का कोई भी हिस्सा सीमा या बाउंड्री लाइन को छूता है तो उसे भी फाउल माना जाता है।
- यदि जैवलीन की नोक, भाला फेंकने के दौरान जमीन के अंदर नहीं गढ़ती है या भाला खड़ा नहीं रहता तो उसे भी फाउल माना जाता है।
इस लेख को लिखने का श्रेय भारतीय जैवलिन खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को जाता है जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारत को जैवलीन में सबसे पहला गोल्ड मेडल दिला कर भारत का नाम विश्व में रोशन किया। 2021 टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में जबरदस्त प्रदर्शन कर भारत को जीत दिलाई थी। नीरज में अपने सिर्फ दूसरे बारी में 87.58 मीटर भाला फेंक कर भारत को गोल्ड दिलाया। आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी यह ओलंपिक खेलों में एथलेटिक्स में भारत द्वारा जीता गया सबसे पहला गोल्ड मेडल है। उनकी इस उपलब्धि पर हमें गर्व होना चाहिए।

मुझे आशा है कि आपको “जैवलिन थ्रो के रोचक तथ्य और नियम क्या है?” पर हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं ताकि हम तिकड़म पर और भी रोचक तथ्य भविष्य में ला सकें। तिकड़म की ओर से हमारी हमेशा यही कोशिश है कि हम लोगों तक दुनिया के दिलचस्प तथ्यों से अवगत करा सकें। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप हमारें YouTube चैनल को अपने मित्रों के साथ शेयर करें। आप यहाँ टेक्नोलॉजी, सिनेमा और स्वास्थ सम्बंधित आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।