यह तो हम सभी जानते हैं कि यह युग कलियुग / Kaliyuga चल रहा है। आज के दौर में कोई बुरा काम करता है तो हम यही कहते है कि कलियुग चल रहा है।
लेकिन क्या आप जानते है कि कलियुग / Kaliyuga की शुरुआत कैसे हुई? कलयुग का समय कितने वर्षो का है? कलियुग कब और कैसे ख़त्म होगा? इन सभी प्रश्नों के जवाब के लिए यह आर्टिकल पूरा पढ़े।
कलियुग / Kaliyug, शास्त्रों के अनुसार चार युगों(सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग) में अंतिम युग है। सूर्य सिद्धांता के अनुसार कलियुग / Kaliyuga की शुरुआत 18 फरवरी 3102 ई.पू. के मध्य रात्रि में हुआ था। शास्त्रों के अनुसार यह वही तारिख(18 फरवरी 3102 ई.पू.) है जिस दिन भगवान श्री कृष्ण धरती से वापस वैकुण्ठ गए थे।

कलियुग / Kaliyuga की शुरुआत कैसे हुई?
कलियुग / Kaliyuga के शुरुआत की कई सारी किवदंती हैं। जिसके अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांडवो ने अपना राजपाठ अर्जुन के बेटे, परीक्षित को सौप कर स्वर्ग की ओर चले गए। वही भगवान श्री कृष्ण भी मानव शरीर त्याग कर वैकुण्ठ लोक चले गए। पांडवो और भगवान श्री कृष्ण के जाने के बाद कलियुग ने प्रभाव दिखाना शुरू किया।
एक बार राजा परीक्षित भ्रमण करने निकले थे रास्ते में उन्होंने देखा, कलि (कलि के युग को ही कलियुग कहते हैं) एक बैल को मार रहा है, उस बैल का एक टांग ही है। यह बैल धर्म था। यह देख राजा परीक्षित को काफी क्रोध आया कलि को मारने दौड़े। कलि(कलयुग) राजा परीक्षित को आते देख डर गया और राजा परीक्षित से रहम की मांग करने लगा।
इस पर राजा परीक्षित ने दया दिखाते हुए कहा कि “तू मेरे राज्य से निकल जा और कही और जा कर रह”। ये सुन कलि(कलयुग) ने कहा की “पूरे धरती पर आपका ही राज है, मैं धरती छोड़ का कहाँ जाऊ”। इस बात पर राजा परीक्षित ने दया दिखाते हुए कहा “जहां अधर्म, चोरी, झूठ हो वहां चले जा और वहां जाकर रह”।
लेकिन इन सब स्थानों से कलि(कलयुग) को संतुष्टी नहीं हुई और एक बेहतर जगह मांगने लगा। इस पर राजा परीक्षित ने कलि (कलयुग) को सोने / Gold में रहने के लिए कह दिया। यह सुन कलि(कलयुग) काफी खुश हो गया और मान गया।
राजा परीक्षित ने उस वक़्त सोने का मुकुट पहना हुआ था। कलि (कलयुग) ने मौका देखकर राजा के सोने के मुकुट में प्रवेश कर लिया। इससे राजा परीक्षित की मानसिक क्षमता (मति) ख़राब हो गयी। राजा परीक्षित के मस्तिस्क में नकारात्मक विचार उत्पन्न होने लगे।
राजा परीक्षित ने पास में गुजर रहे एक सांप को मार दिया और उसे ध्यान लगा कर बैठे, एक साधू के गले में डाल दिया। साधू ने जब अपनी आँखे खोली तो उसने अपने गले में मारा हुआ सांप देखा। यह देख साधू को राजा परीक्षित पर काफी क्रोध आया। साधू ने तुरंत राजा परीक्षित को श्राप दिया कि “तेरी मौत आज से सातवे दिन हो जाएगी”।
राजा परीक्षित वापस राजमहल आये और माथे से सोने का मुकुट उतारा। सोने का मुकुट उतारते ही उन्हें आपकी गलती का एहसास हुआ। एहसास होते ही राजा परीक्षित दौड़े-दौड़े साधू के पास गए और क्षमा याचना करने लगे। इसपर साधू ने कहा दिया हुआ श्राप वापस नहीं हो सकता लेकिन तुम्हारे पास सात दिन है। इन सात दिनों में जितना अच्छा कर्म कर सकते हो कर लो। इसके बाद राजा परीक्षित वापस राजमहल आ गए और सात दिन बात राजा परीक्षित की मौत हो गयी। राजा परीक्षित के मरने के बाद कलियुग ने पूरे धरती को अपनी चपेट में ले लिया और हर तरफ पाप और अधर्म करने लगा।

कितने वर्षो का होगा कलियुग / Kaliyuga
वैदिक आलेख के अनुसार चार युग होते हैं। हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार हर चार युग बाद ब्रह्माण्ड में जीवन बनता है और नष्ट होता है। जो कि 4.1 से 8.2 अरब वर्षों का होता है। इतना ही वर्ष ब्रह्मा के एक दिन के बराबर होता है।
सत्ययुग
सतयुग चार युगों में से धरती पर पहला युग था। इस युग में बुराई / evil, झूठ / lie, क्रोध / Anger, वासना / desire और अहंकार / ego नहीं थे। इस युग में ना किसी को कोई बीमारी थी ना किसी को कोई दुख था। मानव शरीर की लम्बाई 32 फीट की होती थी। कहा जाता है कि सतयुग में मानव अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त करता था। सतयुग का कुल समय 17,28,000 मानव वर्ष का था। सत्ययुग में मानव का औसत जीवनकाल 1,00,000 वर्ष होता था। सतयुग में धर्म के चार पांव थे। इस युग का अंत भगवान परशुराम के जन्म के बाद हुआ।
त्रेतायुग
सतयुग के बाद त्रेतायुग आया। इस यूग में राज्यों और प्रान्तों का जन्म हुआ कई राजा दुसरे देशो पर आक्रमण कर उसे जीत कर अपना बल और प्रभुत्व दिखाते थे। इस युग में धर्म के तीन पांव रह गए थे। एक चौथाई लोग बुराई, पाप और हिंसा करने लगे थे। इस युग में मनुष्य के कद की लम्बाई 21 फीट रह गयी थी। त्रेतायुग का कुल समय 12,96,000 मानव वर्ष का था। त्रेतायुग में मानव का औसत जीवनकाल 10,000 वर्ष होता था। भगवन राम का जन्म इसी युग में हुआ था।

द्वापरयुग
त्रेतायुग युग के बाद तीसरा युग द्वापरयुग था। इस युग में लालच, क्रोध, झूठ फ़ैल गया था। इस युग में मनुष्य के कद की लम्बाई 12 फीट रह गयी थी। इस युग में धर्म के दो पांव रह गए थे। द्वापरयुग का कुल समय 8,64,000 मानव वर्ष का था। द्वापरयुग में मानव का औसत जीवनकाल 1000 वर्ष होता था। द्वापरयुग में ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और महाभारत भी इसी युग में हुआ था।
कलियुग
कलियुग / Kaliyuga चौथा और अंतिम युग है। इस युग में अधर्म अपने चरम पर पहुंच जाएगा। इस युग में देवता मात्र 10000 वर्षो तक ही धरती पर रहेंगे इसके बाद देवता भी धरती से चले जाएंगे। इस युग में धर्म के एक पांव रह गए है। कलियुग का कुल समय 4,32,000 मानव वर्ष का होगा। अभी कलयुग के मात्र 5000 वर्ष ही पूरे हुए हैं। कलियुग में मानव का औसत जीवनकाल 100 वर्ष होता है।
जैसे जैसे कलियुग बढ़ता जायेगा वैसे पाप, क्रोध, लालच, हिंसा, वासना, स्वार्थ, बुराई बढती जाएगी और अच्छे कर्म जैसे की दया, क्षमा, सत्य, धर्म ख़त्म होते जायेंगे। जब घोर कलियुग आएगा तब मनुष्य की आयु मात्र 12 वर्षो की रह जाएगी और मनुष्य का आकार घटकर मात्र 4 इंच की रह जाएगी। इस युग का अंत भगवान विष्णु द्वारा कल्कि के अवतार में होगा जो बुराई का अंत करेंगे। कलियुग ख़त्म होने के बाद फिर से एक नए सतयुग की शुरुआत होगी।

भागवत पुराण के अनुसार कलियुग / Kaliyuga में लोग झूठे और अधर्मी होंगे। पाखंड और अधर्म चरम पर होगा। वह एक दुसरे का धन और स्त्री हथियाने में लगे रहेंगे। बात बात पर एक दुसरे पर क्रोध और उत्पीडन करेंगे।
देवताओ का आशीर्वाद ख़त्म हो जायेगा, योगी और साधू भी दुष्ट स्वाभाव के होंगे। राजा चरित्रहीन होगा, प्रजा की सेवा कि जगह प्रजा का ही धन लूटेगी।
जो धनवान और बलि होगा लोग उसी का आदर करेंगे। शिष्य गुरु का आदर नहीं करेगा पुत्र भी पिता का आदर नहीं करेगा।
दान पुण्य नहीं होगा।
स्त्रीयां, धनहीन पति को त्याग देंगी। स्त्रीयां भी लोभी स्वाभाव की होंगी और क्रोध से भरी रहेंगी।
प्रजा कभी सूखे से तो कभी बाढ़ से परेशान रहेगी। कलियुग के 5000 साल बाद गंगा भी सूख जाएगी और गंगा धरती से वापस वैकुण्ठ धाम चली जाएगी।
बड़े और भयंकर युद्ध होंगे। पाप चारो और फैला रहेगा।

कलियुग / Kaliyug का अंत कैसे होगा?
महाभारत में कलियुग / Kaliyuga के अंत का जिक्र है। धरती पर पाप जब अपने चरम पर होगी तो भगवान विष्णु कल्कि के अवतार में जन्म लेंगे। भगवान कल्कि तब अपने घोड़े पर सवार होकर पापी का नाश करेंगे। पापियों का नाश करने के बाद धरती पर कई वर्सो तक सूखा पड़ेगा इअके बाद कई वर्षो तक बारिश और तेज़ तूफ़ान आएगा। इतनी बारिश के धरती पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगी और फिर अंत में आकाश में एक साथ बारह सूरज निकलेंगे जिसके तेज़ से पानी सूख जाएगा। इसके बाद धरती पर फिर नए जीवन की उत्पत्ति होगी। फिर से सतयुग कि शुरुआत होगी।
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