आजकल पेड व्यूज (Paid Views), (फेक लाइक) Fake Like, फॉलोअर (Followers) और सब्सक्राइबर (Subscribers) काफी चलन में है। कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म हो चाहें यूट्यूब (Youtube) हो, इन्स्ताग्राम (Instagram) हो या फेसबुक (Facebook) हो इस घोटाला से नहीं बच पाया है। आखिर कैसे इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यह घोटाले हो जाते है? क्या यह Like, View, Followers पैसो से खरीदे जाते है? क्लिक फार्म से संबंधित इन्ही सब प्रश्नों का जवाब इस आर्टिकल में देंगे।
अगर आप आज भी यूट्यूब (Youtube) के लाइक (Like), सब्सक्राइबर (Subscribers) या इंस्टाग्राम (Instagram) के फॉलोअर (Follower) को सच मानते हैं तो यह आपकी अवधारणा गलत है। दरअसल आजकल कोई भी लाइक और सब्सक्राइबर खरीद सकता हैं।
अब आपके मन में सवाल आया होगा की यह कोई कैसे खरीद सकता है और यह खरीदा जाता है तो यूट्यूब (Youtube) या फेसबुक (Facebook) के अल्गोरिद्म इन्हें पकड़ क्यों नहीं पाते हैं?
फेक फॉलोअर, सब्सक्राइबर और व्यूज बढ़ाने का काम दो तरीको से किया जाता है। पहला बोट (BOTS) से और दूसरा क्लिक फार्म (Click Farm) से।

क्या होता है बॉट?
बॉट ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो सोशल मीडिया पर रियल यूजर की तरह व्यव्हार करता है। यह बॉट आटोमेटिक मेसेज या कमेंट लिखते हैं और वीडियो पर क्लिक करके उनके व्यूज भी बढ़ाते रहते हैं। यह बॉट प्रोग्राम्ड होते हैं इस वजह यह वैसा ही व्यव्हार करता है जैसे की प्रोग्राम किया गया होता है। यह बॉट एक सेकंड में एक पूरी वीडियो देख सकता है। हालांकि अब बॉट के काम करने की स्पीड और इसके व्यव्हार से सोशल मीडिया के अल्गोरिद्म इसको पकड़ लेते हैं। एक अनुमान के मुताबिक कि 9-15% ट्विटर अकाउंट सोशल बॉट हैं।
फॉलोअर, सब्सक्राइबर और व्यूज बढ़ाने का दूसरा तरीका क्लिक फार्म है।

क्या होता है क्लिक फार्म।
क्लिक फार्म एक तरह का क्लिक फ्रॉड है। यहां कम भुगतान वाले श्रमिकों के एक बडे समूह द्वारा फेक लिंक पर क्लिक करके लाइक, फॉलोअर और सब्सक्राइबर बढाया जाता है। क्लिक फार्म में एक व्यक्ति के सामने एक सौ(100) मोबाइल या लैपटॉप रखे रहते हैं जिसमें फेक अकाउंट लॉग इन रहते हैं। उस फेक अकाउंट की मदद से दूसरे रियल यूजर के लिंक पर क्लिक करके लाइक, फॉलोअर और सब्सक्राइबर बढ़ाते हैं।
यानी कि जो काम बॉट करते हैं वही काम क्लिक फार्म में लोगो द्वारा किया जाता है। क्लिक फार्म को Youtube या Facebook के अल्गोरिद्म द्वारा पकड़ना मुश्किल है क्योंकि यहां सभी फोन अलग होते हैं, सभी आईपी एड्रेस अलग होते हैं और सभी के अकाउंट अलग होते हैं। क्लिक फार्म आमतौर पर चीन, भारत, नेपाल, श्रीलंका, मिस्र, इंडोनेशिया, फिलीपींस और बांग्लादेश जैसे विकासशील देशों में स्थित हैं।

अब सवाल यह आता है कि लोग व्यूज और फॉलोअर खरीदते क्यों हैं? इसका सबसे आसान जवाब है आगे निकलने की होड़ / स्पर्धा। हर सोशल मीडिया पर हर मिनट करोड़ों वीडियो अपलोड किया जाता है। सिर्फ Youtube पर ही हर मिनट 500 घंटे के विडियो अपलोड किया जाता है।
ऐसे में अपने वीडियो को अलग दिखाने के लिए लोग फेक व्यूज का सहारा लेते हैं। दूसरा है भारत में सस्ते दरो में उपलब्ध बॉट और क्लिक फार्म। बॉट से भारत में, इन्स्टाग्राम पर, 80 रूपये में 1000 फॉलोअर मिल जाते हैं। वही क्लिक फार्म पर, 250 रूपये में 1000 फॉलोअर मिल जाते हैं।
आजकल किसी की भी सफलता तय करने में सोशल मीडिया का बहूत बड़ा रोल है। जिसके जितने ज्यादा फॉलोअर और सब्सक्राइबर होते हैं उसे उतना ही सफल माना जाता है। कुल मिलाकर हमारी पर्सनल लाइफ हो या हमारा बिज़नेस सबकी सफलता हमने सोशल मीडिया पर छोड़ दिया है। ऐसे में हर कोई सक्सेसफुल दिखना चाहता है। इसीलिए लोग फेक व्यूज और फेक फॉलोअर का सहारा लेते हैं।
आपके दोस्त के वीडियो भी आप पर तभी प्रभाव डाल पते हैं जब उनके व्यूज या सब्सक्राइबर अच्छे होते हैं। आज Youtube के दौर में आपका गाना हिट हुआ है या फ्लॉप यह व्यूज ही निश्चित करते हैं। आपको याद होगा कुछ दिन पहले जब प्रसिद्ध रैपर, बादशाह ने अपने एक म्यूजिक वीडियो पर व्यूअरशिप रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 72 लाख रुपये में व्यूज खरीदे थे।

रिकॉर्ड से पता चला है कि मशहूर हस्तियों के 65% तक के सोशल मीडिया फॉलोअर नकली होते हैं। वही एक कंपनी ने 82 देशो के 284 मिलियन इन्स्टाग्राम अकाउंट पर अध्यन किया जिसमे से 40% इन्स्टाग्राम अकाउंट फेक थे। सबसे ज्यादा फेक इन्स्टाग्राम अकाउंट के मामले, 42 मिलियन फेक इन्स्टाग्राम अकाउंट के साथ अमेरिका पहले स्थान पर है। 27 मिलियन फेक इन्स्टाग्राम अकाउंट के साथ ब्राज़ील दुसरे स्थान पर है। वही भारत 16 मिलियन फेक इन्स्टाग्राम अकाउंट के साथ तीसरे स्थान पर है।
क्या व्यूज या फॉलोअर खरीदना या बेचना गैरकानूनी है?
पूरी दुनिया में अमेरिका और सिंगापुर के साथ कुछ ही ऐसे देश हैं जहां फेक मीडिया ट्रेंड के लिए ख़ास कानून बना है। भारत के पेड व्यू और फॉलअर के लिए कोई स्पेशल कानून नहीं है जो इसे गैरकानूनी बनाए। हालांकि कोई किसी की फेक प्रोफाइल बनाता है तो वह “आईटी एक्ट 2000” के मुताबिक आपराधिक काम है। फेक फॉलोअर और फेक सब्सक्राइबर का इस्तेमाल ज्यादातर फेक न्यूज़ फ़ैलाने के लिए या फेक सोशल मीडिया ट्रेंड चलाने के लिए किया जाता है जो कि अपने आप में एक आपराधिक काम है।
लेकिन जो कंपनियां यह काम करती है वह सीधे तौर पर गैरकानूनी नहीं होती है। कंपनियों की सीधे गर्दन पकड़ने के लिए भारत में फिलहाल कोई कानून नहीं है। भारत में तो कई सारी पोलिटिकल पार्टियां सोशल मीडिया ट्रेंड चलाने के लिए खुद इन कंपनियों की मदद लेती है। भारत में इस फेक व्यूज और फॉलोअर को रोकने के लिए एक कानून की जरूरत है।
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