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          Home टिप्स एंड ट्रिक्स

          एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में खर्च कितना आता है?

          यदि आपके पास अपने व्यवसाय के लिए एक मोबाइल ऐप नहीं है, तो आप व्यवसाय के कई अवसरों को खो रहे। आज हम आपको बताएंगे कि एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में खर्च कितना आता है और इसकी मदद से आप अपने व्यवसाय कको कैसे बेहेतर बना सकते हैं।

          अंकुर कुमार by अंकुर कुमार
          September 8, 2020
          in टिप्स एंड ट्रिक्स
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          एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में खर्च कितना आता है?
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          हम रोज गूगल प्ले स्टोर से कई सारे ऐप डाउनलोड करते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में खर्च कितना आता है? यह सवाल आप सबके मन में जरूर आया होगा। रोजाना कई सारे मोबाइल एप्लीकेशन लांच हो रहे हैं। इन मोबाइल एप्लीकेशन से रोजाना मिलियन में पैसे भी कमाए जा रहे हैं।

          नए और बेहतर एंड्रॉइड एप्लिकेशन दुनिया भर में अधिक से अधिक फोन-उपयोगकर्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं। लोगों को ऐप डेवलपमेंट इंडस्ट्री में फायदा उठाने के लिए बहुत सारे मौके मिल रहे हैं। यदि आप के पास भी कुछ आईडिया हैं और चाहते हैं कि वे मोबाइल एप्लिकेशन में बदल जाएं, तो वास्तव में कई आउटसोर्सिंग कंपनियां हैं जो आपके लिए काम करना पसंद करेंगी।

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          मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में खर्च कितना होगा

          अगर आपके मन में भी कोई आईडिया है जिसे लेकर आप मोबाइल एप्लीकेशन बनाना चाहते हैं। या यह सोच रहे है कि एप्लीकेशन बनाने के लिए कितनी इन्वेस्टमेंट चाहिये। ऐसे कौन कौन से फैक्टर है जिस से आपके ऐप के खर्च पर फर्क पड़ेगा। इन सब बातो को जानने के लिए यह आर्टिकल पूरा पढ़े।

          भारत में मोबाइल ऐप को बनाने की लागत में कई सारी चीजें है इनमें

          • ऐप का कांसेप्ट या आईडिया

          • ओएस प्लेटफॉर्म

          • यूआई डिजाइन की जटिलता

          • परीक्षण/टेस्टिंग और क्यूए

          • मार्केटिंग और प्रमोशन

          • पेमेंट सेवाओं का एकीकरण

          • सर्वर रखरखाव

          • GPSS और स्थानीयकरण

          • ऐप को ऐप स्टोर में अपलोड करना

          सबसे पहले यह बात जान ले की भारत में कोई भी मोबाइल एप्लीकेशन बनाने के लिए कोई फिक्स्ड दाम नहीं है। एप्लीकेशन 5000 रूपये में बन सकती है या फिर 500000 रूपये में भी बन सकती है। या यह भी हो सकता है की आपको करोड़ों खर्च करना पड़े। यह सब इस पर निर्भर करता है की आपके एप्लीकेशन में क्या फीचर है।

          आप ऐप (एप्लीकेशन) डेवेलोप करना चाहते तो इसके लिए आपको चाहिये एक डेवलपिंग टीम। जिसमें एक डेवलपर होता है, एक टेस्टर होता है और एक डिज़ाइनर होता है। इसके लिए आप किसी कंपनी से संपर्क कर सकते है या किसी फ्रीलान्स ऐप डेवलपिंग टीम से संपर्क कर सकते हैं।

          यह फ्रीलान्स ऐप डेवलपिंग टीम पर घंटे के हिसाब से चार्ज करती है। यानी की आपकी ऐप बनाने में कितने घंटे उनको लगे, इस आधार पर आपको उनको पैसे देने होंगे। भारत में ऐप डेवलपिंग के चार्ज की बात की जाये तो यह 500 रुपए से लेकर 800 रुपए पर घंटे हैं। कई बार यह चार्ज ज्यादा भी हो सकता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि डेवलपिंग टीम कितना कुशल, प्रतिभावान और कितना अनुभवी है।

          उदाहरण के लिए मान लिया जाए आपने अपनी ऐप किसी फ्रीलान्स डेवलपर टीम को दी है और आपकी ऐप (एप्लीकेशन) में चार फीचर है। फीचर 1 को बनाने में 10 घंटे लगते हैं, फीचर 2 को बनाने में लगते हैं 8 घंटे, फीचर 3 को बनाने में 12 घंटे लगते हैं और फीचर 4 को बनाने में 20 घंटे लगते हैं। कुल मिलाकर हो जाते हैं 50 घंटे। मान लिया जाए की फ्रीलांसर ने आपसे 1500 रुपए पर घंटे के हिसाब से चार्ज किया। तो आपको कुल मिलाकर लग जाएंगे 75000 रुपए। यह सिर्फ एक अनुमान है यह पैसे आपके ऐप के फीचर के हिसाब से बढ़ या घट भी सकते हैं।

          इसके अलावा आप ऐप कहां से बनवा रहे हैं इस बात पर भी आपके पैसे निर्भर करते हैं। अगर आप दिल्ली, गुरुग्राम, नॉएडा या बंगलौर से ऐप बनवाते हैं तो आपको दुसरे शहरों के मुकाबले सस्ता पड़ेगा। क्योंकि यहां ज्यादातर कंपनियां है और डेवलपर भी आसानी से मिल जाएंगे। वही अगर आप भारत के बाहर से ऐप बनवाना चाहते है तो जो चार्ज भारत में 800 रुपए पर घंटे लगेंगे वही अमेरिका में यह आपको 8000 रुपए घंटे भी लग जाए। क्योंकि भारत आईटी सेवाओ में टॉप पर है और दुनिया की कई सारी कंपनियां भारत में है। साथ ही साथ भारत में श्रम चार्ज भी कम है।

          दूसरी बात इस पर भी निर्भर करता है कि आप ऐप (एप्लीकेशन) किस प्लेटफार्म पर बनवा रहे हैं। अगर आप अपनी ऐप सिर्फ एंड्रॉयड प्लेटफार्म पर बनवा रहे हैं तो आपको कम खर्च करना होगा। वही आप एंड्रॉयड से साथ आईओएस प्लेटफार्म पर ऐप बनवाते हैं तो आपको ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।

          तीसरी बात इस बात पर निर्भर करता है कि आपके ऐप में कितने फीचर है। अगर आप एक सिंपल ब्लॉग ऐप बनवाना चाह रहे है की जिसमें यूजर सिर्फ आपका ब्लॉग पढ़े तो इसमें कम खर्च और यह सस्ते में बन जाएगा। वही आप इकॉमर्स ऐप बनवाना चाह रहे हैं जैसे कि अमेज़न या फ्लिप्कार्ट जिसमें गूगल साइनअप या पेमेंट गेटवे चाहिये तो इसमें आपको ज्यादा एपीआई एकीकृत करना होगा इसलिए यह ऐप ज्यादा महंगा बनेगा।

          वही आप टिक टोक जैसी ऐप को बनाना चाह रहे है जिसमें यूजर विडियो देखे, विडियो अपलोड करे। तो इसमें जो यूजर का विडियो स्टोर करना पड़ेगा इसके लिए आपको एक सर्वर चाहिये होगा। आप सर्वर किराये पर भी ले सकते हैं। शुरुआत में खुद का सर्वर सेटअप करने की ना सोचे।

          सर्वर रूम: मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में खर्च
          सर्वर रूम

          चौथा युआई (यूजर इंटरफ़ेस) पर निर्भर करता है। आप अपनी ऐप को प्रीमियम लुक देना चाहते है तो फ्रंटएंड डेवलपमेंट और बेकएंड डेवलपमेंट का काम बढ़ जाता है जिससे आपके ऐप के खर्च पर असर पड़ता है।

          पांचवा है रखरखाव पर खर्च। कई सारी कंपनियां ऐप को डेवलप करने के बाद एक साल का रखरखाव मुफ्त में करती है। लेकिन आपको अपने ऐप को हमेशा अपडेटेड रखने के लिए पैसा खर्च करना पड़ेगा। अगर आप अपनी ऐप को मेन्टेन नहीं करते हैं तो आपकी ऐप कुछ दिनों बाद बंद हो जाती है।

          तो यह थे पांच चीजे जिसके आधार पर ऐप को बनाने पर खर्च तय किया जाता है। इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है की जब आप अपने ऐप के आईडिया के लेकर डेवलपर के पास जाते हैं। तो हो सकता है आपके ऐप से मिलता जुलता ऐप उनके पास मौजूद हो। ऐसे में डेवलपर आपको उस ऐप का सोर्स कोड आपको दे देता है फिर आप उस पर अपने हिसाब से परिवर्तन करके उसको ऐप स्टोर या प्ले स्टोर पर अपलोड कर सकते हैं।

          उदाहरण के लिए मित्रों (MITRON) ऐप का सोर्स कोड पाकिस्तान के डेवलपर से 2000 रुपए में खरीदा गया था जिसमें थोडा परिवर्तन या हेर फेर करके प्ले स्टोर पर अपलोड कर दिया गया था।

          अगर आप गूगल प्ले स्टोर पर कोई ऐप अपलोड करना चाहते है तो इसके लिए आपको गूगल प्ले क्रिएटर अकाउंट बनाना पड़ेगा। इसके लिए गूगल आपसे $25 का फीस लेता है।

          दुनिया आज मोबाइल ऐप्स के ट्रेडमिल पर चल रही है, उद्यमों/व्यवसाय के पास अपने विकास का लाभ उठाने का एक सुनहरा मौका है। हालांकि, चुनौती एक उपयुक्त कंपनी या डेवलपर को खोजने में है जो निर्धारित समय अवधि के भीतर मजबूत ऐप्स बना दे।

          आप एप्लिकेशन की किसी भी तरह की लागत की गणना Appcosting.com पर कर सकते हैं।

          मुझे आशा है कि आपको “मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में खर्च” पर हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं ताकि हम तिकड़म पर और भी बेहेतर आर्टिकल भविष्य में ला सकें। तिकड़म की ओर से हमारी हमेशा यही कोशिश है कि हम लोगों तक दुनिया के दिलचस्प तथ्यों से अवगत करा सकें। यदि आपको हमारा यह लेख “मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में खर्च” पर पसंद आया हो तो मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया इस लेख को अपने मित्रों के साथ शेयर करें। अब आप यहाँ टेक्नोलॉजी, सिनेमा और बचत से संबंधित लेख भी पढ़ सकते हैं।

          Tags: एंड्रॉयडऐपटेस्टरडेवलपरप्ले स्टोरमोबाइल एप्लीकेशनसर्वर
          अंकुर कुमार

          अंकुर कुमार

          संसार के रोचक तथ्यों को पढ़ना और उनको अपने लेखनी द्वारा लोगों तक आसान भाषा में लिखना ही मेरी रूचि है। तकनीक और कला का अनुभव रखता हूं।

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