ऐसा लग रहा है 2020 आफतों की बाढ़ लेकर आया है। एक तरफ जहां चीन के दान दिए कोरोना वायरस से समूचा विश्व लड़ रहा है। वही अब चीन में अब बुबोनिक प्लेग अपने पैर पसारने लगा है। मानव इतिहास प्लेग जैसी महामारी का कई बार शिकार हुआ है।
आज भी 1347-1351 में यूरोप में आए प्लेग को याद कर रूह कांप जाती है जिसमें लगभग 75-200 मिलियन लोग मारे गए थे। इस महामारी को ब्लैक डेथ के नाम से भी जाना जाता है।
क्या होता है प्लेग?
प्लेग एक संक्रामक बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप को छोड़ दुनिया के लगभग हर कोने में पाया जाता है।
प्लेग के विभिन्न रूप
प्लेग के तीन रूप होते हैं।
बुबोनिक प्लेग
बुबोनिक प्लेग मुख्य रूप संक्रमित पिस्सू के काटने से होता है। यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरिया के संपर्क में आने के एक से सात दिन बाद फ्लू जैसे लक्षण विकसित होने लगते है। वह बैक्टीरिया लिम्फ नोड में जहां से प्रवेश करता है वहां प्रजनन करना शुरू करते है। यदि मरीज का उचित एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज नहीं किया जाता है, तो बैक्टीरिया शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।
बुबोनिक प्लेग के लक्षण
यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरिया (जीवाणु) के संपर्क में आने के कुछ दिनों बाद बुबोनिक प्लेग के लक्षण दिखने लगते है। इन लक्षणों में ठंड लगना, तेज बुखार, मांसपेशियों में ऐंठन, शरीर के अंगों में दर्द, खांसी, दौरा पड़ना, लिम्फ ग्रंथि में सूजन जिसे बुबो कहा जाता है, उंगलियों में गैंग्रीन हो जाना शामिल है।
सेप्टिकैमिक प्लेग
यदि बैक्टीरिया लिम्फ या फेफड़ों के बजाय रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाए तो यह बैक्टीरिया रक्त में प्रजनन करना शुरू कर देता है। इससे इंट्रावस्कुलर कोएगुलेशन होता है यानी कि पूरे शरीर में छोटे रक्त के थक्के बनने लगते हैं और रक्त के प्रवाह के बिना उस जगह के ऊतक (टिश्यू) मरने लग जाते है।

सेप्टिकैमिक प्लेग के लक्षण
सेप्टिकैमिक प्लेग में कभी कभी लक्षण उभरने से पहले व्यक्ति की प्लेग से मृत्यु भी हो सकती है। हालांकि लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, ऊतकों(टिश्यू) की मृत्यु हो जाने पर त्वचा काला हो जाना विशेष रूप से उंगलियों और नाक पर, सदमा, अंग का फैल होना, बुखार, पेट में दर्द, धाव से खून बहना (खून का थक्का ना बन पाने के कारण)।
नयूमोनिक प्लेग
न्यूमोनिक प्लेग यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरिया के कारण होने वाला फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण है। बुबोनिक या सेप्टिकैमिक प्लेग संक्रमण के बाद नयूमोनिक प्लेग का बड़ा रूप है। न्यूमोनिक प्लेग, बुबोनिक प्लेग के मुकाबले कम होता है लेकिन यह प्लेग का बहुत ही गंभीर रूप है।
नयूमोनिक प्लेग के लक्षण
न्यूमोनिक प्लेग में बीमारी का पहला लक्षण बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द होता है। लेकिन न्यूमोनिक प्लेग का सबसे स्पष्ट लक्षणों में खांसी(कई केस में खून की खांसी) है। नयूमोनिक आमतौर पर हवा के माध्यम से संक्रामक लार के बूंदों के द्वारा लोगों के बीच फैलता है।
बुबोनिक प्लेग का कारण
आम धारणा के विपरीत चूहों से सीधे बूबोनिक प्लेग नहीं फैलता है। यह मुख्य रूप से पिस्सू में एक बीमारी है (एक्सनोप्सिला चेओपिस) जो कृंतको (चूहा गिलहरी आदि कतरने वाले जानवर) को संक्रमित करती है और जब उस संक्रमित कृंतक को कोई अन्य पिस्सू काटता है तो वह भी संक्रमित हो जाता है। अंत में जब वह संक्रमित पिस्सू मानव को काटता है तो मानव शरीर में यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरिया प्रवेश कर जाता है जो कुछ दिनों में प्लेग का रूप ले लेता है। यह प्लेग किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर, एक संक्रमित व्यक्ति को छूने से या संक्रमित सतह को छूने से और तेजी से फैलता है।
पिस्सू क्या होते हैं?
पिस्सू एक तरह छोटे उड़ने वाले जीव/ कीड़े होते है जो कि जो स्तनधारियों और पक्षियों के बाहरी परजीवी के रूप में जीवित रहते हैं। पिस्सूओ की लगभग 2,500 प्रजातियां है।
कितना खतरनाक होता है प्लेग?
इसकी कल्पना आप ऐसे कर सकते है की मान लीजिए आप जिन्हें जानते है उनमें हर चार आदमी में से एक की मौत होने लग जाए।
उपचार
यदि समय पर पता चल जाए तो प्लेग एंटीबायोटिक दवाईयों से ठीक हो जाता है। प्लेग से संक्रमित लोगों को तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है और पहले लक्षणों के 24 घंटों के भीतर एंटीबायोटिक्स दी जानी चाहिए। इस एंटीबायोटिक्स में स्ट्रेप्टोमाइसिन और जेंटामाइसिन, टेट्रासाइक्लिन जैसी दवाईयां दी जाती है।
क्या प्लेग एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को हो सकता है?
हां, जब किसी व्यक्ति को नयूमोनिक प्लेग होता है। तो उस संक्रमित व्यक्ति के खांसने से प्लेग के बैक्टीरिया की बूंदें हवा में मिल सकती हैं। यदि इन बैक्टीरिया युक्त बूंदों को कोई अन्य व्यक्ति सांस द्वारा लेता है तो उसे भी न्यूमोनिक प्लेग हो सकता है।
प्लेग का निदान कैसे किया जाता है?
प्लेग निदान में पहला कदम एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा रोगी के रक्त, थूक, या लिम्फ नोड एस्पिरेट के नमूने परीक्षण करना। आमतौर पर 24 से 48 घंटे में नमूने के परीक्षण की पुष्टि हो जाती है। अगर रिजल्ट पॉजिटिव रहता है तो अक्सर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ उपचार शुरू हो जाता है।
प्लेग की मृत्यु दर क्या है?
एंटीबायोटिक के आने से पहले प्लेग के कारण मृतु दर 66 प्रतिशत थी। जो की अब एंटीबायोटिक के आने के बाद 11 प्रतिशत हो गयी है। हालांकि यह मृत्यु दर कुछ क्षेत्रों में बहुत अधिक हो सकती है। प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं के बावजूद प्लेग अभी भी घातक रोग है।
क्या प्लेग से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है?
प्लेग का टीका अभी फिलहाल किसी भी देश में उपलब्ध नहीं है। हालांकि वैक्सीन के विकास के लिए कोशिश जारी है लेकिन अभी भविष्य में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होने की उम्मीद कम है।
प्लेग अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद है। कुछ दिन पहले ही चीन में बुबोनिक प्लेग के कई मामले सामने आए है। हाल के वर्षों में कांगो और मेडागास्कर में इसका प्रकोप फैला हुआ है। प्लेग मानव जाती के बीच कई बार आई है। कई बार यह विशाल रूप में आता है ख़त्म हो जाता है और फिर से आता है। प्लेग का जीवाणु यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरिया जानवरों में रहता है। जीवाणु जो बीमारी का कारण बनते हैं, और इसको ढोने वाले पिस्सू का सफाया करना ना के बराबर है। इसलिए समाज में कभी भी प्लेग एक महामारी के रूप में फैल सकता है।
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