क्या आपका मूड भी कई बार बेवजह बदलता रहता है? अगर आपके साथ भी ऐसा है तो आप सचेत हो जाए क्योंकि यह बाइपोलर डिसऑर्डर (द्विध्रुवी विकार) के लक्षण हो सकते हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर जिसे पहले मैनिक डिप्रेशन(उन्मत्त अवसाद) भी कहा जाता था।
बाइपोलर डिसऑर्डर (द्विध्रुवी विकार) क्या है?
बाइपोलर डिसऑर्डर एक गंभीर मानसिक बीमारी है। इस रोग से ग्रसित रोगी में अत्यधिक मूड स्विंग या मनोदशा बारी-बारी से दो विपरीत अवस्थाओं में आती जाती रहती है। जिसमें भावनात्मक उच्चता शामिल है। एक मनोदशा को मैनिक (उन्माद) और दूसरी मनोदशा को डिप्रेशन (अवसाद) कहते हैं। साधारण मूड या मिजाज के विपरीत, बाइपोलर डिसऑर्डर(द्विध्रुवी विकार) में मूड में इतना तीव्र/तेज़ परिवर्तन होते हैं कि इससे आपकी नौकरी, आपके रिश्तों को नुकसान पहुंच सकता है और दैनिक जीवन में कार्य करने की आपकी क्षमता को बाधित कर सकते हैं।
जिन लोगों को यह होता है वे असामान्य मनोदशा में बदलाव से गुजरते हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर में आप उदास हो जाते हैं या आप दुखी या निराश महसूस करते हैं और अधिकांश गतिविधियों में रुचि या खुशी खो जाते हैं। जब आपका मूड उन्माद या हाइपोमेनिया (उन्माद से कम चरम) पर शिफ्ट होता है, तो आप उत्साह, ऊर्जा से भरा या काफी खुशी महसूस करते हैं।
देर से किशोरावस्था और शुरुआती वयस्कता द्विध्रुवी विकार की शुरुआत के लिए चरम वर्ष हैं।
यद्यपि बाइपोलर डिसऑर्डर (द्विध्रुवी विकार) एक आजीवन स्थिति है लेकिन ज्यादातर मामलों में, बाइपोलर डिसऑर्डर (द्विध्रुवी विकार) का इलाज दवाओं और मनोवैज्ञानिक परामर्श (मनोचिकित्सा) के साथ किया जाता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर (द्विध्रुवी विकार) के संकेत और लक्षण क्या है?
द्विध्रुवी से संबंधित कई लक्षण हैं। इनमें उन्माद(मैनिक) या हाइपोमेनिया और डिप्रेशन (अवसाद) शामिल हो सकते हैं। इसके लक्षण में मूड और व्यवहार में अप्रत्याशित परिवर्तन होता है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन में बहुत सी कठिनाई होती है।
उन्मत्त लक्षण
बाइपोलर डिसऑर्डर (द्विध्रुवी विकार) के उन्मत्त चरण में अधिक ऊर्जा, रचनात्मकता और उत्साह की भावनाओं का अनुभव करना आम है। उन्मत्त चरण के दौरान लगभग आधे लोगों को भ्रम हो सकता है (उन चीजों पर विश्वास करना जो सत्य नहीं हैं और जिनसे उनकी बात नहीं की जा सकती) या मतिभ्रम (ऐसी चीजें देखना या सुनना जो वहां नहीं हैं) हो सकता है। यदि आप एक उन्मत्त चरण का अनुभव कर रहे हैं, तो आप ऐसा महसूस कर सकते हैं कि आप शक्तिशाली, अजेय हैं। इसके अन्य लक्षणों में
अत्यधिक खुशी
उम्मीद और उत्साह
हर्षित होने से लेकर चिड़चिड़ा,
क्रोध
बेचैनी
तेजी से बोलना
ऊर्जावान महसूस करना
असामान्य रूप से उच्च सेक्स ड्राइव
अवास्तविक और भव्य योजनाएँ बनाना
गलत और घटिया फैसला लेना
नशीली दवाओं और शराब का सेवन करना
नींद की कम जरूरत महसूस करना
भूख कम लगना
आत्म-विश्वास का अत्यधिक बढ़ना
आसानी से विचलित होना जैसे लक्षण शामिल हैं।

हाइपोमोनिक लक्षण
हाइपोमेनिया उन्माद का एक मामूली रूप है, लेकिन इसमें व्यक्ति की सामाजिकता या कार्य करने की क्षमता में उल्लेखनीय कमी नहीं होती है, इसमें मनोरोग अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं है। द्विध्रुवी (बाइपोलर डिसऑर्डर) लोग जो हाइपोमेनिया का अनुभव करते हैं, वह यह भूल जाते है कि उनके व्यव्हार से उनके आस-पास के लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यहां तक कि जब परिवार और दोस्त मनोदशा या मिजाज के बारे में बताते हैं, तो व्यक्ति अक्सर इस बात से इनकार कर देता है कि कुछ भी गलत है।
डिप्रेशन (अवसाद)
अवसाद एक व्यक्ति के जीवन और दूसरों के साथ संबंधों को बाधित कर सकता है, विशेष रूप से जीवनसाथी और परिवार के सदस्यों के साथ और कोई भी काम करने में कठिनाई का कारण बन सकता है। द्विध्रुवी डिप्रेशन (अवसाद) के सामान्य लक्षणों में:
निराशाजनक होना,
उदास या खाली महसूस करना
चिड़चिड़ापन
अचानक आनंद का अनुभव करना
थकान या ऊर्जा में कमी महसूस करना
शारीरिक और मानसिक सुस्ती
भूख या वजन में परिवर्तन
नींद की समस्या
एकाग्रता और स्मृति समस्याएं
मूल्यहीनता या अपराधबोध की भावना
मरने या आत्महत्या के विचार आना शामिल है।
मिश्रित लक्षण
द्विध्रुवी विकार के मिश्रित लक्षण में उन्माद या हाइपोमेनिया और अवसाद दोनों के लक्षण दिखाई देते हैं। मिश्रित प्रकरण के सामान्य लक्षणों में चिड़चिड़ापन, चिंता, अनिद्रा, व्याकुलता और काफी तेज़ विचार बदलना के साथ डिप्रेशन (अवसाद) शामिल हैं। उच्च ऊर्जा और कम मूड (ख़राब मनोदशा) का यह संयोजन विशेष रूप से आत्महत्या का कारण बनता है।
द्विध्रुवी विकार के प्रकार
बाइपोलर I (द्विध्रुवी I)
विकार एक बीमारी है जिसमें लोगों ने एक या एक से अधिक बार अधिक उन्माद का अनुभव किया हो। बाइपोलर I (द्विध्रुवी I) वाले अधिकांश लोगों में उन्माद और अवसाद दोनों लक्षण होंगे, हालांकि जरूरी नहीं की व्यक्ति को अवसाद भी हो। द्विध्रुवी I के लिए किसी व्यक्ति को उन्मत्त का लक्षण कम से कम सात दिन तक चलना चाहिए या इतना गंभीर होना चाहिए कि अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो।
बाइपोलर II (द्विध्रुवी II)
बाइपोलर II (द्विध्रुवी II) विकार द्विध्रुवी विकार का एक सबसेट है जिसमें लोग अवसादग्रस्त का अनुभव करते हैं इसमें व्यक्ति में हाइपोमोनिक लक्षण बार बार आते रहते हैं लेकिन कभी भी पूर्ण उन्मत्त नहीं होता है।
साइक्लोथाइमिक विकार, साइक्लोथिमिया एक अस्थिर मनोदशा है इसमें लोग कम से कम दो साल तक हाइपोमेनिया और हल्के अवसाद का अनुभव करते हैं। साइक्लोथिमिया वाले लोगों में सामान्य मूड की संक्षिप्त अवधि हो सकती है, लेकिन ये अवधि आठ सप्ताह से कम समय तक रहती है।
द्विध्रुवी विकार किन कारणों से होता है?
द्विध्रुवी विकार का कारण स्पष्ट नहीं है। शोध बताते हैं कि विभिन्न चीजों के संयोजन से यह अधिक संभावना हो सकती है कि आप द्विध्रुवी विकार के रोगी हो। इन कारणों में
जेनेटिक कारक
यदि आपके माता-पिता, भाई या बहन में किसी तरह का द्विध्रुवी विकार है, तो आप 5 गुना अधिक द्विध्रुवी विकार होने की संभावना रखते हैं। शोधकर्ताओं को द्विध्रुवी विकार के लिए सटीक जीन नहीं मिला है। लेकिन विभिन्न जीनों को द्विध्रुवी विकार के विकास से जोड़ा गया है।
मस्तिष्क रासायनिक असंतुलन
आपके मस्तिष्क में विभिन्न रसायन आपके मनोदशा और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। इन मस्तिष्क के रसायन में कोई बहुत अधिक या बहुत कम हो तो आप में उन्माद या अवसाद पैदा कर सकते हैं।
पर्यावरणीय कारक
दुर्व्यवहार, मानसिक तनाव, तनावपूर्ण जीवन या कुछ अन्य दर्दनाक घटना द्विध्रुवी विकार का कारण बन सकती है।
द्विध्रुवी विकार से जुड़े जोखिम
आत्महत्या का जोखिम
वित्तीय जोखिम यदि आपको उन्माद या हाइपोमेनिया है तो आप अपने वित्त या पैसो का प्रबंधन करने के लिए संघर्ष कर सकते हैं। आप अपने जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सोचे बिना बहुत सारे पैसे खर्च कर सकते हैं।
शारीरिक स्वास्थ्य जोखिम द्विध्रुवी विकार वाले लोगों में मधुमेह और हृदय रोग जैसी शारीरिक बीमारियों की दर अधिक होती है।
शराब और ड्रग्स का खतरा, द्विध्रुवी विकार वाले 30% से अधिक लोग ड्रग्स या अल्कोहल सेवन करने लगते है जैसे कि शराब पीना, धूम्रपान करना या अन्य ड्रग्स लेना आदि।
ड्राइविंग जोखिम यदि आपको गंभीर अवसाद, हाइपोमेनिया, उन्माद या मनोविकृति का लक्षण है तो आपको ड्राइविंग बंद कर देनी चाहिए।
उन्माद, हाइपोमेनिया और अवसाद के लिए उपचार क्या है?
यदि आप अपने या किसी अन्य में द्विध्रुवी विकार के लक्षणों को देखते हैं, तो समस्या को अनदेखा करने से यह निश्चित रूप से बिगड़ जाएगा। द्विध्रुवी विकार के साथ रहने से आपके करियर से लेकर आपके रिश्तों तक और आपके स्वास्थ्य तक हर चीज में समस्याएं हो सकती हैं।
द्विध्रुवी विकार के लिए सबसे प्रभावी उपचार में दवा और जीवन शैली में बदलाव शामिल है। साथ साथ सामाजिक रूप से भी बदलाव की जरूरत होती है। आपकी जीवनशैली और दैनिक आदतें आपके मूड पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं और यहां तक कि दवा की आवश्यकता को भी कम कर सकती है।
मनोचिकित्सा द्वारा द्विध्रुवी विकार वाले व्यक्ति को समझने और विभिन्न प्रकार के तनावों से मुकाबला करने में मदद करता है।
दवाई में लिथियम दवा है, जो तीव्र उन्मत्त के लिए एक प्रभावी उपचार है, जिससे रिलेप्स और द्विध्रुवी अवसाद को रोका जा सकता है। लिथियम द्विध्रुवी विकार वाले लोगों में आत्महत्या और मृत्यु के जोखिम को कम करता है।
मूड स्टेबलाइजर्स द्वारा भी इलाज किया जाता है जैसे की लैमोट्रिजिन और वैल्प्रोइक एसिड को इस्तेमाल करके उन्मत्त का इलाज किया जा सकता है।
मुझे आशा है कि आपको “क्या आपको भी बाइपोलर डिसऑर्डर (द्विध्रुवी विकार) तो नहीं?” के कुछ रोचक तथ्य पर हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं ताकि हम तिकड़म पर और भी रोचक तथ्य भविष्य में ला सकें। तिकड़म की ओर से हमारी हमेशा यही कोशिश है कि हम लोगों तक दुनिया के दिलचस्प तथ्यों से अवगत करा सकें। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप हमारें YouTube चैनल को अपने मित्रों के साथ शेयर करें। आप यहाँ टेक्नोलॉजी, सिनेमा और स्वास्थ सम्बंधित आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।