भार उठाना अर्थात वेटलिफ्टिंग (weight lifting) बहुत से देशों का एक प्रसिद्ध खेल है। वेटलिफ्टिंग भी एथलेटिक्स की श्रेणी में ही आता है। इस खेल की मदद से एक खिलाड़ी अपने स्वास्थ्य को नियमित रूप से बहेतर रखते हुए सुद्रढ़ शरीर बनाता है और शरीर को वजन उठाने के लिए तैयार करता है। यह खेल ओलंपिक और कॉमनवेल्थ प्रतियोगिताओं में भी शामिल किया गया है।इस खेल में अलग-अलग देशों से बहुत से पुरुष और स्त्री भाग लेते हैं।
इस खेल को भार उठाने कि सीमा के आधार पर 7 वर्गों में बांटा गया है।
श्रेणी | भार | |
1 | बैंटमवेट | 56 किलोग्राम (लिमिट) |
2 | फेदरवेट | 60 किलोग्राम (लिमिट) |
3 | लार्दटवेट | 67.5 किलोग्राम (लिमिट) |
4 | मिडिल वेट | 75 किलोग्राम (लिमिट) |
5 | लाइट-हैवी वेट | 82.5 किलोग्राम (लिमिट) |
6 | मिडिल-हैवी वेट | 90 किलोग्राम (लिमिट) |
7 | हैवी वेट | 90 किलोग्राम से ज्यादा |
वेटलिफ्टिंग प्लेटफार्म
वेटलिफ्टिंग प्लेटफार्म का वेटलिफ्टिंग के खेल में वर्गाकार अर्थात चैकोर प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया जाता है। इस खेल में प्लेटफार्म वर्गाकार अर्थात स्क्वायर शेप का होता है। इसमें मैदान की प्रत्येक भुजा की लंबाई 4 मीटर होती है। जिसका कुल क्षेत्रफल यानी एरिया 16 मीटर होता है। यह प्लेटफार्म जमीन से कुछ ऊपर लकड़ी का बनाया जाता है। इस खेल में इस्तेमाल होने वाली रौड अर्थात लोहे की छड़ का वजन तकरीबन ढाई किलो या अधिकता में होता है। यह बाहर सामने की तरफ प्रतियोगिता खिलाड़ी के दोनों टांगों के आगे रखी जाती है। हर पारी में खेल की वजन में की जाने वाली वृद्धि 5 किलोग्राम तक होती है और प्रत्येक श्रेणी में खेलने वाले खिलाड़ियों की संख्या 2 होती है। इस खेल की पोशाक तैराकी वाले सूट जैसी तथा पहलवानों की पोशाक जैसी दिखती हैं। किसी भी खिलाड़ी कि पोशाक में जुराबें, चमड़े के जूते आदि भी सम्मिलित होते हैं।

वेटलिफ्टिंग में प्रत्येक वर्ग में एक टीम के दो खिलाड़ी भाग ले सकते हैं। कई बार जरूरत होने पर खिलाड़ी को बदला भी जा सकता है। खेल शुरू होने से 1 घंटे पहले सभी खिलाड़ियों के वजन तोला जाता है ताकि उसके हिसाब से उनको उनकी कैटेगरी में निर्धारित की जा सके। यदि उनका वजन उनके श्रेणी से ज्यादा होता है तो उनका वजन दोबारा लिया जाता है।
भार उठाने के तरीके
भार उठाने के तरीके को वेट लिफ्टिंग एसोसिएशन ने वेट उठाने के लिए कुछ तरीकें निर्धारित किए हुए हैं। एक खिलाड़ी को उन तरीकों के अनुसार ही वेट लिफ्ट करना पड़ता है।
- दो स्पष्ट हाथ और झटका: इस तकनीक में प्रतियोगी टांगों के सामने रखी हुई रोड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर एक झटके के साथ जमीन से उठाकर अपने कंधों तक लाता है। उसके बाद वह अपने पैरों को खोल अथवा मोड़ सकता है। कोई भी खिलाड़ी रोड को तब तक अपनी छाती से छुआ नहीं सकता। जब तक कि वह अपने पैरों की अंतिम स्तिथि में ना आ जाए। रौड को सर के ऊपर 2 सेकंड तक रोकना रखना जरूरी होता है। ऐसी स्थिति में खिलाड़ी के दोनों पैर एक लाइन में अथवा अधिकतम 92 सेंटीमीटर दूर रखने पड़ते हैं।
- 2. दोनों हाथों से झटका बाहर: इस विधि में खिलाड़ी को दोनों हाथों से रौड को झटके से सिर के ऊपर उठाना होता है। इस टेक्निक में उसके पैर अलग-अलग और मुड़े होने चाहिए। रौड को उठाते समय खिलाड़ी के पैरों के अलावा उसके शरीर का कोई भी अंग जमीन से छूना नहीं चाहिए। रोड को सिर के ऊपर 2 सेकंड तक रोकना जरूरी होता है। रोड को स्थिर रखते हुए खिलाड़ी की दोनों टांगें और और हाथ फैले होने चाहिए तथा उसके पैर अधिकतम 40 सेंटीमीटर दूर होनी चाहिए। ऐसी स्तिथि में कलाइयों को मोड़ने या टांगों को फैलाने की अनुमति नहीं होती है। जब भारी वजन खिलाड़ी के सर के ऊपर पहुंचे तभी खिलाडी अपनी कलाइयों को मोड़ सकता है।
- 3. दो स्पष्ट हाथ और दबाव: इस तरीके को हमने 2 हिस्सों में बांटा है जिससे आपको इसे समझने में आसानी होगी।
- पहली स्तिथि में खिलाड़ियों बार यानि रौड को खुले हाथ से पकड़ कर एक ही झटके के साथ दोनों कंधों पर लाता है। यह बार/रौड को झटके से उठाने की प्रक्रिया खिलाड़ी को स्वयं को झुका कर या उसके पैरों को खोलकर करनी पड़ती है। कंधे तक उठाई गई रौड/बार उसके ढोड़ी के नीचे मुड़े हुए दोनों हाथों पर ठहरी हुई होनी चाहिए। उसके दोनों पैर यानी टांगे एकदम सीध में अधिकतम 40 सेंटीमीटर दूर होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में खड़े होने के बाद खिलाड़ी रेफरी के इशारे का इंतजार करता है।
- दूसरी स्थिति में रैफरी से संकेत मिलने के बाद खिलाड़ी बार/रौड को अपने सर के ऊपर उठा कर अपने दोनों हाथों को पूरी लंबाई तक फैला लेता है। इस स्थिति में खिलाड़ी के शरीर ना तो पीछे की ओर झुकना चाहिए और ना ही उसकी टांगे झुकनी चाहिए। ऐसे में भी खिलाड़ी को भार को कम से कम 2 सेकंड तक स्थिर रखना होता है। उसके बाद रेफरी के इशारे के बाद खिलाड़ी वजन को मित पर रख सकता है।

भार उठाने (weight lifting) के फाउल
- खिलाड़ी भार को उठाते समय घुटनों को झुका नहीं सकता है।
- खिलाड़ी रेफरी के संकेत मिलने से पहले भार को उठा नहीं सकता है।
- इस खेल में भार को उठाने के लिए अत्यधिक नीचे झुकना प्रतिबंधित है।
- इस खेल में पैरों को हिलाना अर्थात पैरों की एड़ियों को या अंगूठे को उठाना बिल्कुल मना है।
- वेटलिफ्टिंग में अपने धड़ को घुमाना या बारी-बारी से अपने हाथों को फैलाना पूरी तरीके से प्रतिबंधित है।
- यदि खिलाड़ी ने रेफरी के संकेत मिलने से पहले ही अपने बार/रौड को नीचे कर दिया तो वह भी गलत है।
- इस खेल में खिलाड़ी के बार को अथवा रौड को कंधों पर पहुंचने से पहले शरीर के किसी भी अंग से स्पष्ट नहीं कर सकता।
- भार को उठाते समय एक बार झटका देने के बाद दूसरी बार झटका भी नहीं दे सकता है।
इस खेल में निर्युक्त की जाने वाली रेफरी को कभी भी बदलने का अधिकार ज्यूरी मेम्बेर्स को होता है।रेफरी के किसी भी निर्णय के विरुद्ध खिलाडी अपनी अपील ज्यूरी मेम्बर को दे सकते है। जिसके बाद में रेफरी से बातचीत करके फैसला दिया जाता है।
भार उठाने (weight lifting) के नियम
- वेटलिफ्टिंग में खिलाड़ी को खेल के दौरान अपनी कोहनी मोड़ने की अनुमति नहीं दी जाती है।
- अपने हाथ पैरों को खोलना या मोड़ना खिलाड़ी की इच्छा पर निर्भर करता है। इसकी अनुमति उसे प्राप्त होती है।
- यदि भार उठाने की क्रिया अधूरी रह जाती है अर्थात बार/रौड केवल घुटनों के ऊपर तक ही उठाया जाए तो इसे एक प्रयत्न समझा जाता है।
- यदि यह खेल टाइ हो जाए तो हल्के वजन वाले प्रतियोगी को भारी वजन वाले खिलाड़ी से ज्यादा नंबर दिए जाते हैं।
- वेटलिफ्टिंग प्लेटफार्म से बाहर पैर रखने वाले खिलाड़ी को अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
- यदि कोई भी खिलाड़ी किसी भी मेंबर के साथ दुर्व्यवहार करता है तो उसे वार्निंग दी जाती है। बार-बार खराब व्यवहार करने पर उसे ही चेतावनी देकर अयोग्य साबित कर दिया जाता है। यदि ऐसे में खेल में 2 खिलाडी एक खेल में एक समान वजन उठाएं। तो दोनों को बराबर मान कर दोनों को ही पुरुस्कृत किया जाता है। ऐसे में दूसरा नंबर के खिलाड़ी को तीसरे नंबर का पुरस्कार दिया जाता है।
- खेल के दौरान भार उठाने वाले खिलाड़ी को 2 मिनट के अंदर प्लेटफार्म पर वेटलिफ्टिंग करने के लिए तैयार रहना पड़ता है। यदि 2 मिनट में न आए तो यूज़ दोबारा बुलाया जाता है और यदि यह समय 3:00 मिनट तक पहुँच जाए तो खिलाड़ी को चेतावनी दी जाती है।
- इस खेल में जो खिलाड़ी सबसे ज्यादा अंक प्राप्त करता हैं। उसे विजेता माना जाता है।
- खेल के दौरान खिलाड़ी के अलावा रैफरी, ज्यूरी मेम्बेर्स जज और टीम मेम्बेर्स को खेल के समय उपस्थित रहना अनिवार्य होता है।

भारत की ओर से साइखोम मीराबाई चानू इंडिया की वेटलिफ्टर है। उन्होंने 2020 टोक्यो ओलंपिक में 49 किलोग्राम की श्रेणी में वेटलिफ्टिंग में एक सिल्वर मेडल जीता था।जिसके लिए उन्हें भारत सरकार की तरफ से खेल में अपने योगदान देने के लिए पदम श्री अवार्ड से नवाजा गया।
इस लेख को लिखने का श्रेय की प्रेरणा भारतीय वेटलिफ्टर साइको मीराबाई चानू और जेरेमी लालरिन्नूंगा से मिली है। जिन्होंने उड़न 4 किलोग्राम और 67 किलोग्राम के कैटेगरी में भारत को 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में बर्गर मंगा में दो गोल्ड मेडल दिलाएं जेरेमी मात्र 19 साल के हैं और वह मिजोरम की राजधानी आइजोल के रहने वाले हैं उन्होंने अपनी पूरी ट्रेनिंग एन आई एस पटियाला से ली है ऐसा कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने खेल के दौरान चोट लगने पर भी हार नहीं मानी और भारत को गोल्ड मेडल दिलाया/
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