आज के समय में 21वीं सदी में जिस व्यक्ति को भी देखते हैं। सबको पैसे, प्रॉपर्टी और आराम की ही कामना है। कोई गाड़ी के पीछे हैं, कोई बंगले के पीछे हैं, कोई ऐशोआराम के पीछे हैं। अफसोस की बात तो यह है कि अधिकतर लोग जीवन जीने की मूल बातों को भूलते जा रहे हैं। इस लेख में हमने जीवन को स्वर्ग कैसे बना सकते हैं? पर कुछ उन आवश्यक बिंदुओं का उल्लेख किया है जिसको यदि एक आम आदमी अपने जीवन में पालन करें तो उसका जीवन भी स्वर्ग बन सकता है।
आप अपने जीवन को स्वर्ग कैसे बना सकते हैं?
- यदि आप अपने माता-पिता का आदर करेंगे। तो भविष्य में जब आप की औलाद होगी तो वह भी आपका आदर करना उसी तरीके से सीखेगी। इसलिए हमें अपने जीवन में अपने माता-पिता का आदर करना चाहिए और उनसे प्रेम भाव से बातचीत करनी चाहिए।
- दूसरे मनुष्य से या दूसरे लोगों से आप अपने जीवन में वैसा ही व्यवहार रखें। जैसा व्यवहार आप दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। यदि आप सामने वाले की इज्जत करेंगे तो लोग भी आपको इज्जत देंगे। अक्सर हम अपने अच्छे समय में लोगों की आलोचना या उन्हें बुरा भला कह देते हैं और यह भूल जाते हैं कि हमारे बुरे दिन कभी नहीं आएंगे। जिसकी वजह से हम लोगों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं रख पाते। याद रखिए समय कभी भी किसी का अच्छा या खराब नहीं रहता। वह बदल जाता है। इसलिए जब भी आप किसी से कोई भी बात कहें तो पहले सामने वाले के स्थान पर पहले अपने आपको रखिए। और सोचिए कि अगर आप उसकी जगह होते तो क्या करते? इस नियम का पालन करने पर आपको अपने जीवन में ज्यादातर समस्याओं का हल आसानी से मिल जाएगा। इसका एक बहुत बड़ा फायदा यह है कि आप हमेशा तनाव मुक्त रहेंगे और जीवन में खुश भी रह पाएंगे।
- कुछ लोगों की आदत होती है कि वह किसी को भी बिना बताए सलाह देते रहते हैं। किसी व्यक्ति के कोई भी काम करने पर उसको बार-बार टोकते भी रहते हैं। हमेशा याद रखिये यदि आप इस तरीके से किसी भी व्यक्ति में सुधार या बदलाव लाने की कोशिश करते हैं तो इस तरीके की कोशिश व्यर्थ है। यदि या वास्तविक रूप से किसी को बदलना चाहते हैं तो आपको उसके आसपास का माहौल, उसके आसपास के लोगों की संगत और वह किस तरह की किताबें पढ़ता है? और उसके ज्ञान का स्रोत क्या है? में बदलाव लाना चाहिए। उससे आप उसके जीवन सुधार बिना टोके आसानी ला सकते हैं।
- देखा गया है कि जैसा प्यार भरा व्यवहार हम अपने बीवी या पति के साथ शादी से पहले करते हैं। यदि वैसा ही प्रेम भरा व्यवहार वह एक दूसरे को समझते हुए बेहतर तालमेल के साथ शादी के बाद भी रखें। तो उस व्यवहार के कारण पति और पत्नी का वैवाहिक जीवन खुशनुमा बन सकता है। ऐसे में अपशब्द क्लेश और कड़वाहट की एक शादीशुदा जीवन में कोई जगह नहीं रहेगी।
- जीवन में हम क्या खाना खाते हैं? से ज्यादा जरूरी यह है कि हम अपने द्वारा खाए गए खाने को कैसे बचाते हैं? यदि एक इंसान खाना खाने के बाद उसे ठीक से पचा ना सके। तो इसका मतलब यह है कि वह खाना उसकी सेहत के बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है। इस तरह के खाने को व्यक्ति को तुरंत त्याग देना चाहिए।
- अगर आप अपनी जरूरत से 10 गुना भी कमाते हैं। तो आप कितना कमाते हैं? से ज्यादा यह आवश्यक है यह है कि आप अपनी कमाई को यानी अपनी आय को किस तरीके से खर्च करते हैं? अक्सर लोग कहते हैं, आज मेरा मन यह खाने का कर रहा है। आज मेरा मन यह सामान खरीदने का कर रहा है। आज मेरा मन वहां जाने का कर रहा है। पर कितनी बार हम अपने जीवन में मन की जगह विवेक का सहारा लेकर निर्णय लेते हैं। यदि हम अपने जीवन में हर निर्णय को अपने विवेक से ले तो हमारा जीवन भी आर्थिक कठिनाइयों से बच सकता है।
- हमें कभी भी अपने जीवन को दूसरों के साथ कंपेयर करके दुखी नहीं होना चाहिए। यदि किसी ने घर खरीदा है, किसी ने गाड़ी खरीदी है, किसी ने नए कपड़े लिए हैं या नया मोबाइल फोन खरीदा है, से कंपैरिजन कभी नहीं करना चाहिए। जीवन में प्रतिस्पर्धा का कोई अंत नहीं होता है। जो लोग दूसरों से ईर्ष्या रखते हैं यानी चढ़ते हैं या दूसरे के सुख को देखकर दुखी रहते हैं। दुखी रहने का स्वभाव उनके मानसिक तनाव का एक बहुत बड़ा कारण बन जाता है। जबकि दूसरी ओर यदि वह दूसरों की तरक्की को देख कर खुश होते हैं और आनंद लेते हैं तो यह आदत अपने आप में किसी भी आनंदमयी सुख से कम नहीं होती हैं। इसलिए हमें अपने जीवन में जो भी चीजें हमारे पास हैं और दूसरों के पास नहीं है पहले देखना चाहिए। बशर्ते कि जो दूसरों के पास हैं और हमारे पास नहीं है क्योंकि जो पास में नहीं है उसे देखने की बजाय जो पास में है उसे देखकर यदि हम अपना जीवन एक आशावादी की तरह जीते हैं तो हम अपने जीवन में लाखों खुशियां बटोर सकते हैं। अतः हमें अपने जीवन में हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए।
- अपने जीवन को सदा खुश रखने के लिए अपने आसपास के लोगों को उस खुशी का एहसास कराने के लिए और अपने आप को तनावमुक्त रखने के लिए हमें अपने जीवन को सादगी से उच्च विचारों के साथ जीना चाहिए क्योंकि अत्यधिक चमक, हिरस और कुसंगति से हम अपने विवेक को मार लेते हैं। यदि आप अपनी जरूरतों को सबसे कम कर लेंगे तो उसी में जीवन का सुख छुपा हुआ है। वो कहते हैं ना कि अगर आप अपनी चाहत को को घटा लेंगे तो आपको चिंताओं से भी मुक्ति मिल जाएगी।
- मैं हिंदू हूं। मैं मुस्लिम हूं। मैं सिख हूं या मैं इसाई हूं। आज के समय में विभिन्न धर्मों के बीच जातिवाद समाज में परेशानियों का एक बहुत बड़ा विषय है। इसलिए हमें सभी धर्मों, देवी-देवताओं और सभी जातियों का समान भाव से सम्मान करना चाहिए। अलग-अलग धर्म जातियां, मंदिर मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर यह सब परमात्मा तक पहुंचने का बस एक जरिया है। जिस तरह देश के अलग-अलग राज्यों से निकलने वाली अनेक नदियां आगे जाकर एक विशाल सागर में विलीन होकर एक हो जाती हैं। उसी तरह सभी धर्म समाज में परमात्मा तक पहुंचने का बस एक माध्यम है। तो उनकी तुलना करना व्यर्थ है। यदि हम इस बात को अपने जीवन में पालन करें तो समाज में सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं रहेगी और एक व्यक्ति के दुसरे व्यक्ति के प्रति सहज भाव रहेगा।
- याद रखिए जिंदगी सिर्फ पैसा, ताकत, प्रॉपर्टी इकट्ठे करने का काम नहीं है बल्कि सैकड़ों लोगों से आशीर्वाद प्राप्त करने का एक बहुमूल्य मौका है क्योंकि जब हम इस दुनिया से जाएंगे तो हमारे पास उन सैकड़ों लोगों के आशीर्वाद और और अच्छे कर्मो के सिवा कुछ और नहीं रह जाएगा। इसलिए अगर आप ऊपर बताई गई आदतों को अपने जीवन में अपनाते हैं तो आप भी अपने जीवन को तनाव रहित रखते हुए खुशी के साथ व्यतीत कर सकते हैं।
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